For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ मनाएँ हम दिवाली !

आओ मनाएँ हम दिवाली, बाल दीपक प्यार का !
आँगन गली घर जगमगाये, तम मिटे संसार का !
यह रौशनी का पर्व सूचक, है तिमिर पर जीत का !
अनुभव करें इस पर्व पर मिल, हम अनोखी प्रीत का !

मन दीप पूरित प्रीत घृत पुनि, भाव निर्मल वर्तिका !
बलकर दिये की लौ सुहानी, नाचती ज्यों नर्तिका !
काली अमा की रात में, न्यारी लगे हर दीपिका !
शुभ कामना जग प्रीति मुक्ता, मन सँजोये सीपिका !

- मौलिक व अप्रकाशित

Views: 812

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on November 6, 2016 at 10:26pm

 आदरणीय अशोक रक्ताले जी  रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ

Comment by Satyanarayan Singh on November 6, 2016 at 10:23pm

 आदरणीय विजय निकोरे जी, रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 3, 2016 at 11:08pm

वाह ! दोनों ही छंद सुंदर रचे हैं आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

Comment by vijay nikore on November 2, 2016 at 9:48pm

अति सुन्दर संदेशपूर्ण कविता के लिए बधाई, आदरणीय सत्यनारायण जी।

Comment by Satyanarayan Singh on November 1, 2016 at 10:48am
रचना को पसंद करने और अपनी टिप्पणी द्वारा मेरे उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार आदरणीय रामबली जी
आदरणीय मेरी जानकारीनुसार जलाना या बुझाना इन शब्दों के बजाय बालना तथा बढाना क्रमशः इन शब्दों का प्रयोग शुभ सूचक मानकर किया जाता है बाकी इस पर सुधिजनों की राय का इंतजार रहेगा.
सादर
Comment by रामबली गुप्ता on November 1, 2016 at 6:19am
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण हरिगीतिका छंद रचा है आपने आद0 भाई सत्यनारायण जी। दिल से बधाई लीजिये।
'बलकर' सम्भवतः टंकण त्रुटि है 'जलकर' होना चाहिए।
Comment by रामबली गुप्ता on November 1, 2016 at 6:16am
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण हरिगीतिका छंद रचा है आपने आद0 भाई सत्यनारायण जी। दिल से बधाई लीजिये।
'बलकर' सम्भवतः टंकण त्रुटि है 'जलकर' होना चाहिए।
Comment by Satyanarayan Singh on October 31, 2016 at 3:24pm
आदरणीय शेख उस्मानी जी दीपोत्सव की शुभकामनाओं सहित हार्दिक धन्यवाद
सादर
Comment by Satyanarayan Singh on October 31, 2016 at 1:20pm
आदरणीय कालीपद जी दीपोत्सव की शुभकामनाओं सहित सादर धन्यवाद..
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 31, 2016 at 10:59am

सुन्दर रचना आ.सत्यनारायण सिंह जी |बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service