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ग़ज़ल ( उनको ही चाहा करेंगे... )

अब उनकी बेरुखी का न शिकवा करेंगे हम
लेकिन यह सच है उनको ही चाहा करेंगे हम ।

जायेंगे वो हमारी गली से गु़ज़र के जब
बेबस निगाह से उन्हें देखा करेंगे हम ।

तन्हाईयों में याद जब उनकी सताएगी
दिल और जिगर को थाम के तदपा करेंगे हम

करते नही कबूल मेरी बंदगी तो क्या
बस उनके नक्शे पा पे ही सजदा करेंगे हम ।

"अलीम" अगर वो यारे हसीं मेहरबान हो
जीने की थोडी और तम्मान्ना करेंगे हम ।

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Comment

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Comment by दुष्यंत सेवक on June 16, 2010 at 12:19pm
aleem ji behtareen ghazal .......prem sirf dene ka bhaav hai paane kaa naam nahi iski achchi misal hai apki panktiyan.....
bas vartanigat jo ashudhiyan hai halanki ve typing mistake hai unhe duur kar len...jaise तदपा aur तम्मान्ना inhe sudhar len rachna aur behtareen ban padegi...dhanyavaad
Comment by satish mapatpuri on June 14, 2010 at 12:52pm
अब उनकी बेरुखी का न शिकवा करेंगे हम
लेकिन यह सच है उनको ही चाहा करेंगे हम ।

जायेंगे वो हमारी गली से गु़ज़र के जब
बेबस निगाह से उन्हें देखा करेंगे हम ।
अलीम साहेब, मोहब्त इसीको कहते हैं, मोहब्त करने का नाम है, हासिल करने का नहीं.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 13, 2010 at 6:51pm
करते नही कबूल मेरी बंदगी तो क्या
बस उनके नक्शे पा पे ही सजदा करेंगे हम ।
Aleem bhai, achhi ghazal kahi hai aapney,shukriya kabool karey,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 13, 2010 at 5:08pm
बबन भाई, यह शब्द "तदपा" नही बल्कि "तड़पा" है, सजदा = पूजा, "नक्शे पा"= पदचिन्ह
Comment by baban pandey on June 13, 2010 at 6:45am
अलीम भाई , बहुत ही उम्दा ..एक गुराजिश है ...मेरी उर्दू कमजोर है ..."तदपा" और " सजदा " का हिंदी अर्थ लिख देते ...तो धीरे -धीरे मेरी भी स्टॉक बढती...धन्यवाद

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