For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फैंसी ड्रैस का आयोजन था।वृद्धाश्रम के सभी वृद्ध तरह - तरह की वेशभूषा में सजे थे। कोई किसान,कोई सब्जी बेचने वाला,कोई पुजारी ,कोई माली तो कोई संत।
उन्हीं में से एक वृद्धा ने कटोरा हाथ में लिया व अपनी वेशभूषा के अनुरूप वह भीख माँगने लगी।
फैंसी ड्रेस का माहौल ही बदल गया। सबके हाथ पीछे हट गए,आँखे पनीली हो गईं,ह्रदय करूण भाव से भर गया ।सभी के मन के एक कोने में एक पछतावा, एक पश्चाताप सा जाग गया।सब यही सोच रहे थे ओह! ये हमने क्या कर दिया।सबकी संवेदना ने विचारों पर ताला लगा दिया ये दृश्य सबकी बर्दाश्त के बाहर था।
सब ये भूल गए कि वे फैंसी ड्रेस के आयोजन में बैठे हैं।
अचानक से जज बनी यौवना उठी व वृद्धा के हाथ से कटोरा छीन कर केवल यही बोल पाई, "मुझे माफ कर दीजिए ! मुझे माफ कर दीजिए!

अप्रकाशित व मौलिक

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Archana Tripathi on August 18, 2015 at 3:12pm
आ.ममता जी ,दरअसल इसे मैं अपनी किसी गलती का परिणाम समझ रही थी क्योकि मैंने ओबीओ तो काफी समय से ज्वाइन किया हैं लेकिन एक्टिव अब कुछ दिन से हो रही हूँ ऐसी गलतियां मुझसे लगातार ही रही हैं ।सादर
Comment by Mamta on August 18, 2015 at 9:11am
आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी हुआ कुछ यूँ कि मैंने आपके नाम में त्रिपाठी के स्थान पर तिवारी जी लिख दिया जैसे ही गलती पता चली तो उसे क्षमा प्रार्थना के साथ सही करने की कोशिश की लेकिन हाय री किस्मत मोबाइल फोन पर आते विकल्पों ने पुनः त्रुटि पर त्रुटि करवा दी और मैं चुप बैठ गई यह सोच कर कि आप सब इसे सही कर लेंगे ।
मैं अभी ठीक से समूह पर क्या काम कैसे किया जाए इन सब बातों से अनभिज्ञ हूँ करती कुछ हूँ हो कुछ और जाता है।इसी कारण गलतियां ज्यादा हो रही हैं । आपको दिक् करने हेतु क्षमा प्रार्थी हूँ।
सादर ममता
Comment by Archana Tripathi on August 18, 2015 at 7:39am
क्षमा कीजिये आदरणीय ममता जी//माफ़ कीजिये अर्चना त्रिपाठी जी पता जाए// यह टिप्पणी मुझे समझ नहीं आयी कृपया मार्गदर्शन कीजिये आभारी रहूंगी।
Comment by Mamta on August 16, 2015 at 8:18pm
माफ कीजिए अर्चना त्रिपाठी जी पता जाए।
सादर ममता
Comment by Mamta on August 16, 2015 at 8:15pm
आदरणीय मिथिलेश जी,ओमप्रकाश क्षत्रिय जी आदरणीया अर्चना तिवारी जी आप सभी का बहुत -बहुत आभार!
सादर ममता
Comment by Archana Tripathi on August 16, 2015 at 12:19am
शुक्र हैं अपनी गलती तो समझ आयी।बेहतरीन रचना हार्दिक बधाई आपको।
Comment by Omprakash Kshatriya on August 14, 2015 at 7:33am

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 13, 2015 at 10:50pm

इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service