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उसके हज़ारों रूप लगें

उसके हज़ारों रूप लगे

किसी को सायाँ किसी को धूप लगे

वो एक ही है मगर उसके हज़ारों रूप लगे

मेघ बनते है ,उमड़ते है ,बरसते हैं

किसी को प्यास ,किसी को कैनवास

किसी का विश्वास ,किसी को मीत लगे

तो किसी को बुरी ये छीट लगे

वो एक ही है मगर उसके हज़ारों रूप लगें

बहती जाती है नदी, गाती है ,

शोर मचाती है इठलाती है

किसी को संगीत, किसी को पुनीत लगे

जंगल मैं भटके राही को

घर पहुँचने की आखिरी उम्मीद लगे

वो एक ही है मगर उसके हज़ारों रूप लगे

फूल खिलते हैं ,महकते हैं, मुरझा जाते हैं

किसी को रस ,किसी का यश ,

किसी का उत्कर्ष,किसी का आशीष लगे और

किसी किताब में रखे अधुरे प्यार की बाकी उम्मीद लगे

वो एक ही है मगर उसके हज़ारों रूप लगे

सोमेश कुमार(मई,२००९)

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 415

Comment

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Comment by somesh kumar on December 19, 2014 at 11:35pm

sukriya sbhi vidvan mitro evm aadrniy gurujno ka

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 5:36pm

सोमेश जी

बेहतरीन प्रस्तुति i  आपकी रचना में रिदम  है , लय है i

Comment by vijay nikore on December 18, 2014 at 4:26pm

बहुत ही सुन्दर भाव हैं। बधाई।

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 12:09pm

बहती जाती है नदी, गाती है ,

शोर मचाती है इठलाती है

किसी को संगीत, किसी को पुनीत लगे

सोमेश भाई सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई !

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 18, 2014 at 4:18am
फूल खिलते हैं ,महकते हैं, मुरझा जाते हैं
किसी को रस ,किसी का यश ,
किसी का उत्कर्ष,किसी का आशीष लगे और
किसी किताब में रखे अधुरे प्यार की बाकी उम्मीद लगे
वो एक ही है मगर उसके हज़ारों रूप लगे
वाह, बहुत सुन्दर , कहाँ से कहाँ तक , भूतभूत बधाई आदरणीय सोमेश कुमार जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 11:06pm

वो एक ही है मगर उसके हज़ारों रूप लगें........बहुत खूब, बधाई आदरणीय सोमेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 7:54pm

बहुत खूब सोमेश भाई अच्छी कोशिश है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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