For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वाहनों से भरी सडक पर एक बाबा पैदल चले जा रहा था .. उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था की वो थक गया है और सहायता  चाहता है , थके होने की वजह से वो बार बार मुड के पीछे देख रहा था ! 

आगे का रास्ता किसी वाहन पर करने की उम्मीद लिए जिसको भी हाथ देता वो उसको अनदेखा कर आगे निकल जाता ..मायूसी चेहरे पर थी पर  बिना रुके चल भी रहा था ...

इस आपा धापी की जिंदगी में सबको जल्दी है पर कुछ दूर अगर छोड़ा जाता तो कुछ जाता नहीं उल्टा हमें जो आशीर्वाद मिलता वो जरूर फलता....जो शायद मेरे भाग्य में था ...

वो पल शायद मेरे लिए था ...

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

** आलोक **

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on October 28, 2014 at 12:01pm

अपने हिस्से की दुआ.

सुन्दर प्रयास.

सादर.

Comment by Alok Mittal on October 16, 2014 at 12:03pm

 आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी.....बहुत सुंदर सर ....

मेरा हौसला बढाने के लिए आपका दिल से आभार ...मेरा मार्ग दर्शन करते रहिये ..हम भी पूरी कोशिश करेंगे आप सब की कसोटी पर खरे उतने के लिए ...

सराहना के लिए आपका पुन: आभार 

Comment by Alok Mittal on October 16, 2014 at 12:01pm

आदरणीय  Somesh kumar जी ....बहुत बहुत आभार आपका आपने मेरा हौसला बढ़ाया है ..प्रयास निरंतर करता रहूँगा ..इसी तरह मेरा मार्ग दर्शन करते रहिये ,,,,शुक्रिया आपका 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 16, 2014 at 12:56am
आदरणीय आलोक मित्तल जी , आपका प्रयास सराहनीय है ,बस लिखते रहिये , परिपक्वता भी आ जायेगी , फिलहाल आपसे प्रेरित होकर मैं कुछ लिख रहा हूँ ,

आप किसी रास्ते पे मुंह पे रुमाल रख लीजिये ,
लोग भी रुमाल या हाथ रख लेगें निकल जायेगें ।
आप बस किसी ओर देखने लगिए , देखते रहिये ,
आते जाते लोग , उस ओर तकते हुए जायेगें ।
आप व्यवस्था को ज़रा सा बस कुछ भी बोल दीजिये
संवेदनशील हैं ये लोग , हाँ में हाँ मिलायेगें ।
एक कमजोर लाचार की मदद को हाथ बढाइये
कुछ बगल से , कुछ आपको धकिया के निकल जायेगें ॥
आपकी रचना के लिए बधाई , सराहना भी।
Comment by somesh kumar on October 15, 2014 at 11:05pm

दुआएं कभी बक्शीश में नहीं मिलती ,उस तरह के कर्तव्य करने से ही ये पुण्य मिलता है |

अच्छा प्रयास 

Comment by Alok Mittal on October 15, 2014 at 1:39pm

Er. Ganesh जी ....हा संस्मरण है जो वास्तविकता में हुआ है मेरे साथ ...सन्देश सिर्फ ये है की अगर किसी की मदद की जा सकती है तो किया जाना चाहिए .....

आपका दिल से आभार आपने अपना कुछ समय दिया ...अभी मैंने अपनी  लिखना शुरू किया है हो सकता है आप जैसा नहीं लिख पा रहा हूँ ..कृपया आप मेरा मार्ग दर्शन करें !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 15, 2014 at 1:16pm

यह क्या है आलोक जी ? कहानी या संस्मरण, यदि संस्मरण ही है तो क्या सन्देश देना चाहते हैं ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
13 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service