For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कनक कनक रम बौराया जग

-----------------------------------

कनक  कनक रम बौराया जग

----------------------------------

किसको किसको मै समझाऊँ

ये जग प्यारे रैन   बसेरा

सुबह जगे बस भटके जाना

ठाँव नहीं, क्या तेरा-मेरा ??

आंधी तूफाँ  धूल बहुत है

सब है नजर का फेरा

खोल सके कुछ चक्षु वो देखे

पञ्च-तत्व बस, दो दिन मेला

--------------------------------

कनक कनक रम बौराया जग

भौतिक खेल-खेल में डूबा

पीतल चमक खरा सोना ना

बूझ पहेली पूरा-पूरा

हीरा कोयले में मिलता रे !

यह जग  प्यारे बड़ा अजूबा

--------------------------------

सूरज ना धरती से निकले

नहीं समाये ये रे ! धरती

ललचाये ना -'देखा' होता

सार-सार गहि तजि दे थोथा

खाद उर्वरक कर्म न डाले

क्या पायेगा वंजर धरती

--------------------------

कभी चांदनी कभी अँधेरा

सूखा वर्षा फटता बादल

रचा  कभी पल  मिट  है जाता

देख 'सूक्ष्म' सत का हो कायल

कुदरत ने भेजा रचने को

जोश प्रेम से रच हे! पागल

-----------------------------

 

लोभ मोह ना करे संवरण

ईहा क्रोध राग अति घातक

शान्ति-त्याग जप जोग वरन कर

ऋणी ऋणात्मक काहे पातक ?

तू न्यारा तेरी  रचना न्यारी

प्रिय बन जा रे ! मन कर पावन

----------------------------------

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

६.२५ पूर्वाह्न -७.०० पूर्वाह्न

करतारपुर जालंधर पंजाब

४.०३.२०१४

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 9, 2014 at 9:41am

एक अविश्वसनीय समाचार फेस बुक पर सुन के दिल दहल गया कि अलबेला जी आकस्मिक हम सब को छोड़ चले। … क्या हुआ कैसे हुआ अभी तक कोई ठीक खबर नहीं एक नेक इंसान प्यारा दोस्त दुनिया में हँसते हंसाते सब को विदा हो गया ??? हम सब की श्रद्धांजलि प्रभु उनकी आत्मा को शांति दे और घर परिवार को ये दुःख सहने की शक्ति। । 
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 3, 2014 at 9:58pm

आदरणीय सौरभ भ्राता जी रचना पर आप से प्रोत्साहन मिला बड़ी ख़ुशी हुयी आप के सुझावों पर अमल की कोशिश हो जाए तो अति उत्तम समय बहुत कम होने से ये कमी खलती है आभार
भ्रमर ५


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 11:28am

बहुत ही सारगर्भित भावनाएँ साझा हुई हैं आदरणीय.
निर्गुण मत की अंतर्धारा स्पष्ट दीख रही है इस प्रवाह में. वैसे कविता के अन्य विन्दुओं को भी अपनाया गया होता तो प्रस्तुति अधिक सार्थक होती. फिरभी, लोकगान-शैली में आपका प्रयास भला भी लगा. साहित्यिक विधाओं के प्रति तनिक आग्रही होना अन्यथा न होगा. ऐसा मेरा मनना है.  
सादर

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 30, 2014 at 2:15pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी रचना पर आप का स्नेह मिला ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 30, 2014 at 2:14pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई प्रोत्साहन के लिए आभार व्यस्तता इन दिनों बहुत है इसलिए अंतराल ज्यादा है
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 30, 2014 at 2:12pm

प्रिय अनंत जी रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 30, 2014 at 2:11pm

आदरणीय गिरिराज जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार सच में जीवन पानी का बुलबुला ही तो है
भ्रमर ५

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 5:32pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई ..जीवन के यथार्थ को दिखती , सन्देश परक सुंदर रचना पर तहे दिल बधाई सादर ...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 28, 2014 at 4:04pm

बहुत समय बाद आपकी रचना पड़ने में आई, बहुत बहुत बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 27, 2014 at 3:47pm

बहुत ही सुन्दर संदेशप्रद रचना आदरणीय भ्रमर जी आपको हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service