For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

सजदे में चेहरे के तेरे,सर को झुकाना याद है ,
इश्क़ में मेरे तेरा,खुद को भूल जाना याद है |
 
लाने को रूठे हुए, चेहरे पे मेरे इक हंसी,
वो तेरा अजीब-सी शक्लें बनाना याद है |
 
चलते हुए उस राह पर,कांधे पे रखकर सिर मेरे,
उँगलियों में वो तेरा उँगलियाँ फंसाना याद है |
 
बाहों में जो लूँ कभी,नज़रें बचाकर सबसे मैं,
माँ का लेके नाम वो तेरा भाग जाना याद है |
 
मुफ़लिसी के उन दिनों में,किताबें खरीदने को मेरे,
वो तेरा घर ख़र्च से पैसे बचाना याद है |

Views: 443

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Veerendra Jain on January 23, 2011 at 3:04pm
Bhaskar ji aur Arun ji... protsahan ke liye bahut bahut dhanyawad....
Comment by Abhinav Arun on January 21, 2011 at 12:34pm
अच्छे शेर बन पड़े हैं और खूबसूरत गज़ल के लिये बधाई स्वीकारें !!
Comment by Bhasker Agrawal on January 20, 2011 at 4:26pm
चलते हुए उस राह पर,कांधे पे रखकर सिर मेरे,
उँगलियों में वो तेरा उँगलियाँ फंसाना याद है..........वाह क्या कमाल लिखा है
Comment by Veerendra Jain on January 20, 2011 at 3:50pm

Vivek ji... bilkul sahi kah aapne...us terz per fit baith rahi hai ye gazal...

hausla afzai ke liye bahut bahut dhanyawad...

Comment by Veerendra Jain on January 20, 2011 at 3:49pm
Raju ji , Ashish ji... bahut bahut aabhar..
Comment by आशीष यादव on January 20, 2011 at 12:32pm
वाह वीरेंदर सर, एक मासूमियत भरी ग़ज़ल बहुत अच्छा लगा पढ़ कर|
Comment by विवेक मिश्र on January 20, 2011 at 12:44am

Chupke-chupke raat din aansoo bahaana yaad hai--

hum ko ab tak aashiqi ka wo zamaana yaad hai--

 

iski tarz pe bani ye ghazal, behad khoobsoorat hui hai. Har ek sher mein azeeb si maasoomiyat hai. bus 'waah-waah' hi niklta hai. hardik badhai.

 

Comment by Raju on January 19, 2011 at 2:43pm
bahut hi sunder kavita likhi hai aapne .............. bahut bahut badhai ho aapko

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service