For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मेरे मन को भाता बस्तर !

ग़ज़ल - 

नहीं युधिष्ठिर एक यहाँ पर । 
यक्ष छिपे हर तरफ बहत्तर ।

क्यों बैठा सीढी पर थककर ,
चल कबीर चौरा के मठ पर ।

साखी शबद सवैया गा तू ,
लोभ छोड़ अब चल दे मगहर ।

रिश्ते सारे स्वार्थ के धागे ,
झूठे हैं नातों के लश्कर ।

तुम गुडगावां के गुण गाओ ,
मेरे मन को भाता बस्तर ।

सेवक कोई रहा नहीं अब ,
सबके भीतर बैठा अफसर ।

ज्ञान की पगड़ी सर पर भारी ,
मगर ज़ुबाने जैसे नश्तर ।

            - अभिनव अरुण 

               [01022013]

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on July 23, 2013 at 9:37pm

"क्यों बैठा सीढी पर थककर ,
चल कबीर चौरा के मठ पर ।" सुंदर और प्रभावी अभिव्यक्ति. बधाई.

Comment by Abhinav Arun on June 4, 2013 at 2:53pm

और हाँ  आपके कहने के बाद अब गाफ़ का  अर्थ जान गया हूँ ..बहुत साधुवाद आपका !!

Comment by Abhinav Arun on June 4, 2013 at 2:52pm

सादर प्रणाम आदरणीय !! शुभ शुभ !!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2013 at 10:48pm

//बताने वाले कम मिलते हैं ..मुश्किल से बताते हैं .. यहाँ वीनस जी के कक्षा को  जहां सहज सुलभ जानकारी है .. और संशय दूर करने को आप जैसे मान्यवर ..सो भला है ..वैसे मैं जिस फील्ड में हूँ रेडिओ में मेरा अनुभव कुछ ऐसा रहा है की मैं भी अब सीखाने से दूर ही रहता हूँ//

राउर अब ई कुल्हि कहला प हम का कहीं,  भाईजी ? जे, हमनी दूनो जाना ओबीओ प के अब सबसे पुरान सदस्यन में से बानी जा, ओह ओबीओ प जहवाँ के उदेसवे आजु ले सीखल-सिखावल रहल बा.. आ रही .. 

जय-जय

Comment by Abhinav Arun on June 3, 2013 at 9:26pm

अब अगर कहूं तो आप मानेंगे नहीं ..तक्तीह जिसे आप सब कहते हैं वह अब जाकर सीख सका हूँ ...
 कुछ दिन पहले तकबुले रदीफ़ जाना है उसे ठीक किया है .. अब आपने बताया तो गाफ़ भी पूछ जान लूँगा ... बताने वाले कम मिलते हैं ..मुश्किल से बताते हैं .. यहाँ वीनस जी के कक्षा को  जहां सहज सुलभ जानकारी है .. और संशय दूर करने को आप जैसे मान्यवर ..सो भला है ..वैसे मैं जिस फील्ड में हूँ रेडिओ में मेरा अनुभव कुछ ऐसा रहा है की मैं भी अब सीखाने से दूर ही रहता हूँ .. tippni men कुछ मात्रा  की त्रुटियाँ हो रही हैं यह संज्ञान में हैं ..

इस ग़ज़ल पर परिश्रम कम हुआ है मानता हूँ पर आपने स्नेह लुटाया यह मेरा सौभाग्य है .सादर प्रणाम !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 11:47pm

वाह .. . इस क़ामयाब कोशिश पर बधाई, भाईजी

तुम गुडगावां के गुण गाओ ,
मेरे मन को भाता बस्तर ।

सेवक कोई रहा नहीं अब ,
सबके भीतर बैठा अफसर ।

ज्ञान की पगड़ी सर पर भारी ,
मगर ज़ुबाने जैसे नश्तर ।

उपरोक्त इन तीन अश’आर ने तो जैसे मुग्ध कर दिया.  बहुत-बहुत शुक्रिया.

आपने आठ यानि सम ग़ाफ़ लेकर मिसरे क्यों बनाये ? कोई विशेष कारण ?

वैसे ग़ज़ल शानदार जानदार है.

Comment by Abhinav Arun on May 29, 2013 at 9:15am

प्रियंका जी शेर पसंद आया लिखना सार्थक हुआ बहुत शुक्रिया आदरणीय। !

Comment by Abhinav Arun on May 29, 2013 at 9:14am

बहुत आभार संजय जी और इस शेर के लिए मुबारकवाद क्या सटीक कहा है !!

Comment by Priyanka singh on May 29, 2013 at 12:34am

ज्ञान की पगड़ी सर पर भारी ,
मगर ज़ुबाने जैसे नश्तर.......सुन्दर बहुत बढ़िया .....बधाई सर 

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on May 28, 2013 at 7:01pm

बहुत खूब आ अभिनव अरुण जी... बधाई स्वीकारें...

हरा भरा था लाल हुआ है,

चीख रहा है मेरा बस्तर.

सादर...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service