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पति परमेश्वर[लघु कथा ]

''सोनू आज तुमने फिर आने में  देर कर दी ,देखो सारे बर्तन जूठे पड़ें है ,सारा घर फैला पड़ा है ,कितना काम है ।''मीना ने सोनू के घर के अंदर दाखिल होते ही बोलना शुरू कर दिया ,लेकिन  सोनू चुपचाप आँखे झुकाए किचेन में जा कर बर्तन मांजने लगी ,तभी मीना ने उसके मुख की ओर ध्यान से देखा ,उसका पूरा मुहं सूज रहा था ,उसकी बाहों और गर्दन पर भी लाल नीले  निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे । ''आज फिर अपने आदमी से पिट कर आई है ''?उन निशानों को देखते हुए मीना ने पूछा ,परन्तु सोनू ने कोई उत्तर नही दिया ,नजरें झुकाए अपना काम करती रही बस उसकी आँखों से दो मोटे मोटे आंसू टपक पड़े । मीना ने इस पर उसे लम्बा चौड़ा भाषण और सुना दिया कि उन जैसी औरतों को अपने अधिकार के लिए लड़ना नही आता ,आये दिन पिटती रहती है ,घरेलू हिंसा के तहत उसके घरवाले को जेल हो सकती है और न जानेक्या क्या  बुदबुदाती रही मीनू । उसी रात देव मीनू के पति रात देर से घर पहुंचे ,किसी पार्टी से आये थे वह ,एक दो पैग भी चढ़ा रखे थे ,मीनू ने दरवाज़ा खोलते ही बस इतना पूछ लिया ,''आज देर से कैसे आये ,?''बस देव का गुस्सा सातवें  आसमान पर पहुंच गया ,आव देखा न ताव कस कर  दो थप्पड़ मीना के गाल पर जड़ दिए । सुबह जब सोनू ने अपनी मालकिन का सूजा  हुआ चेहरा देखा तो वह अवाक उसे देखती रह गई । 

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Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 2:05pm

 हार्दिक बधाई आदरणीया रेखा जोशी जी 

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 8:26pm

आ डा प्राची जी ,आपने औरत की बेबसी को समझा और महसूस किया ,न जाने कितनी  औरते ऐसी बेबसी में जी रही है और हम भी यह सब जानते हुए भी बेबस है ,आपका हार्दिक आभार .

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 8:20pm

अजय जी ,आपको कथा पसंद आई लेकिन यह केवल कहानी  नही हकीकत है ,आपने इसके मर्म को महसूस किया ,आभार ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 2, 2013 at 5:58pm

उफ़ ये समाज की घिनौनी सच्चाई...

बंद घरों में रोज तार तार होता औरत का सम्मान,

क्या निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग और क्या ही उच्च वर्ग....  पुरुष का पुरुष होने का ही झूठा अहंकार 

और औरत की बेबस कहानी..

इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया रेखा जोशी जी 

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 4:28pm

आदरणीय  सौरभ जी इस कथा के माध्यम से समाज में बढ़ रही घरेलू हिंसा को उजागर करना है ,आप के कमेंट्स मेरे लिए बहुत महत्व रखते है ,आभार .

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 4:24pm

आ किशन जी , आ प्रदीप जी ,आ अभिनव जी ,आपका हार्दिक आभार ,हमारे भारत देश  में अपने पति की लम्बी आयु की कामना करना ,व्रत रखना ,उसकी आरती उतारना यह सब उसे देवतुल्य बना देता है लेकिन अधीकांश पत्नी को समाज में दूसरा दर्जा मिलता है और दुर्भाग्यवश कई बार वह घरेलू हिंसा का शिकार भी होती है ,आपने इस समस्या के मर्म को समझा ,धन्यवाद .

Comment by Dr.Ajay Khare on March 2, 2013 at 3:41pm

rekha mam aapki laghu katha dil ko choo lene bali hai badhi


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2013 at 3:23pm

जित देखा .. एके लेखा..

इस लघुकथा की अंतर्धारा गहन घुर्णन लिए हुए है. बधाई, आदरणीया रेखाजी.. .

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2013 at 1:58pm

प्रभावित करने वाली सशक्त लघुकथा हार्दिक बधाई आपको respected Rekha Joshi ji !!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 2, 2013 at 1:15pm

पति कब तक परमेश्वर रहेगा 

बधाई कथा हेतु 

आदरणीया रेखा जी सादर 

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