For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चला जा रहा हूँ इस निर्जन पथ पर
अनजानी डगर है मंजिल अनजान
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
...........................................
आँधियों के थपेड़ो ने डराया मुझको
गरजते बादलो ने दहलाया दिल को
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
..........................................
भटक रहा कब से पथरीली राहों पर
पथिक हूँ अनजान कंटीली राहों का
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
............................................
आसन नही चलना हो कर जख्मी
गिरता पड़ता ठोकरें खाता कितनी
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
.........................................
चलता रहूँगा साथ देंगे पाँव जब तक
कहाँ जा रहा हूँ नही जानता अब तक
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
............................................
कभी तो मिलेगी यूँ चलते हुए मंजिल
कहीं तो ले जाएगी ये राह जिंदगी की
यही सोच मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
...........................................

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on February 26, 2013 at 9:17pm

आ ब्रजेश जी ,आ श्री राम जी ,आ डा प्राची जी ,आ बागी जी ,आ लक्षमण जी ,आ दिनेश जी ,उत्साह वर्धन हेतु आप सब का हार्दिक आभार ,धन्यवाद 

Comment by Dinesh Kumar Namdev on February 24, 2013 at 5:11pm

Every foolish never has an aim.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 4:32pm

अच्छी रचना की प्रस्तुति हुई है आदरणीया, बधाई हो ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 24, 2013 at 3:40pm
कभी तो मिलेगी यह मंजिल, इसी आशा से बढ़ते रहने का आशावादी द्रष्टिकोण बहुत भाया 
हार्दिक बधाई रेखा जोशी जी 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2013 at 1:28pm

मंजिल तक पहुँचने का हौसला देती रचना के लिए बधाई आ. रेखा जी 

Comment by श्रीराम on February 24, 2013 at 7:52am

कहीं तो ले जाएगी ये राह जिंदगी की .......सुन्दर 

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2013 at 7:48pm

सुन्दर रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
39 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
45 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
52 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
1 hour ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
12 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service