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तुम जो होंसला दिखाओ तो फर्क पड़ता है

तुम जो होंसला दिखाओ तो फर्क पड़ता है साहेब .
वर्ना , नंबर दो क्या, नंबर एक भी हो जाओ,किसे फर्क पड़ता है ?
जलसे,जयकारे ,चापलूसों की फ़ौज ,किसे फर्क पड़ता है ?
देशभक्त को अपना दोस्त बनाओ तो फर्क पड़ता है ,
दूसरों के भ्रष्टाचार की कलई खोलो ,किसे फर्क पड़ता है ?
अपनों के गलत कामों को रोको तो फर्क पड़ता है ,
पिछड़ों के मसीहा बनो किसे फर्क पड़ता है ?
प्रतिभा का सम्मान करो फर्क पड़ता है ,
दरिंदगी के बाद चार आंसू  बहाओ ,किसे फर्क पड़ता है ?
औरत के प्रति इज्जत की अलख जगाओ तो फर्क पड़ता है,
पडोसी की करतूतों पर  झूंटी भभकी दिखाओ किसे फर्क पड़ता है ?
जवानों के दिलों में विश्वास  जगाओ तो फर्क पड़ता है ,
दौलत, शोहरत,रुतबा दिखाओ ,किसे फर्क पड़ता है ?
एक बार ईमानदारी से सरकार चलाओ तो बहुत फर्क पड़ता है साहेब .
बहुत फर्क पड़ता है साहेब .

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 26, 2013 at 7:44pm

सुन्दर भावो के लिए हार्दिक आभार डॉ दिलीप मित्तल जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2013 at 2:43pm

//दौलत, शोहरत,रुतबा दिखाओ ,किसे फर्क पड़ता है ?
एक बार ईमानदारी से सरकार चलाओ तो बहुत फर्क पड़ता है साहेब .
//

सही बात, फर्क तो पड़ता है भाई, अच्छी रचना, कथ्य उभर कर आ रहा है, बधाई स्वीकार करें ।

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