( एक ) 
 लोग राजनीति में बड़े - बड़े 
 बदलाव लाने के लिए आते हैं। 
 सत्ता में आते ही कद-काठी , 
 डील-डौल , रंग-रूप , वाणी , 
 पहनावा सब बदल जाते हैं , 
 सबसे बड़ी बात , चेहरे - मोहरे 
 और इरादे तक बदल जाते हैं।
 ( दो ) 
 वह गतिमान है , 
 चलते रहना उसकी प्रकृति। 
 वह समय है , गुजर जाता है। 
 पर अतीत को छोड़ जाता है , 
 और छोड़ जाता है , 
 अतीत के अवशेष, धरोहरें, 
 स्मृतियाँ , स्मारक , कहानियां। 
 समय प्रति क्षण चलायमान रहता है , 
 एक सा नहीं रहता है , बदलता रहता है। 
 पर अतीत के सामने वह भी विवश रहता है , 
 उसे नहीं बदल पाता है , उसे नहीं बदल पाता है l
मौलिक एवं अप्रकाशित 
Comment
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षात्रप जी, बहुत बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद , सादर।
आद0 डॉ विजय शंकर जी सादर अभिवादन।
बेहतरीन लघु कविताएँ हुई हैं । बधाई स्वीकार कीजिये
आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपकी उपस्थिति और सार्थक टिप्पणी के लिए आभार , शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद , सादर। 
आदरणीय लक्षमण धामी मुसाफिर जी , आपकी प्रेरक सद्भावनाओं के लिए आभार एवं बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब, दोनों कविताएँ बहुत उम्द: हुई हैं, इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन । उत्तम लघुकथाएँ हुई हैं ।हार्दिक बधाई ।
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