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आपकी यादों का खज़ाना लिए

इक रोज़ चले जाएँगे हम

याद तो करोगे ज़रूर

पर कहाँ आ पाएँगे हम

दीपक कुलुवी



दो कतरा-ए-शराब पास न होती

तो क़यामत होती

तमाम रात बीत जाती

तेरी याद ही न जाती
DEEAP SHARMA KULUVI

09136211486

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 17, 2010 at 11:18pm
वाह वाह क्या बात है...ख्याल पसंद आया|

बागी भैया आपके लिए इतना ही कि जब शायरी का चस्का लग जाये तो ऐसा ही होता है
Comment by आशीष यादव on August 17, 2010 at 12:53am
waah waah, aapne to baagi ji se kamaal karawaa diya.
मुह भी महक गया और काम भी न बना,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 16, 2010 at 11:12pm
वाह भाई वाह , बहुत खूब कहा आप ने , main to इतना ही कहूँगा कि,

दो कतरा-ए-शराब से क्या होगा जालिम,
मुह भी महक गया और काम भी न बना,

कृपया ध्यान दे...

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