For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत दर्शन (द्वितीय कड़ी) मत्त गयंद छंद

वैभव औ सुख साधन थे उनको पर चैन नही मिल पाया
कारण और निवारण का हर प्रश्न तथागत ने दुहराया
घोष हुआ दिवि घोष हुआ भ्रम का लघु बंधन भी अकुलाया
गौतम से फिर बुद्ध बने जग विप्लव शंशय पास न आया।।1

गौतम बुद्ध जहाँ तप से हिय दिव्य अलौकिक दीप जलाए
मध्यम मार्ग चुना अनुशीलन राह यहीं जग को बतलाये
रीति कुरीति सही न लगे यदि क्यों फिर मानव वो अपनाए
तर्क वितर्क करो निज से, धर जीवन संयम को समझाये।।2

गाँव जहाँ ब्रज गोकुल से हिय में अपने जन प्रेम बसाये
कृष्ण दिखें हर बालक में अधरों पर वो मुरली लटकाये
नाच रहे सब बाल सखा खुश हो मुख में जस माखन खाये
माँ सम गाय पले घर आँगन दूध दही सब खाय अघाये।।3

सन्त कबीर फकीर कई पनपी जिनसे रस निर्गुण धारा
नानक देव प्रकाश किये जिससे चहुँओर हुआ उजियारा
श्रीमन शंकर देव यहीं तप से बर वैष्णव धर्म सवारा
और महान हुए रविदास समाज विसंगति जात प्रहारा।।4

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2020 at 8:08pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम।

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। रचना पर उपस्थिति और आशीष के लिए हृदयतल से आभार

Comment by Samar kabeer on January 9, 2020 at 4:01pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,

अच्छी रचनाहूई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2020 at 6:35am

आद0 लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी सादर अभिवादन। आपकी आपकी रचना पर उपस्थिति और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया के लिए आभार निवेदित करता हूँ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2020 at 6:33am

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकीअनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को बल मिला,, हृदय तल से आभार आपका।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 9, 2020 at 5:59am

आ. भाई सुरेन्द्र जी, उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 8, 2020 at 8:42pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी। बेहतरीन रचना।

गाँव जहाँ ब्रज गोकुल से हिय में अपने जन प्रेम बसाये
कृष्ण दिखें हर बालक में अधरों पर वो मुरली लटकाये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
12 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
19 hours ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service