For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसा घर-संसार?

दोनों पति-पत्नि अपने लव-कुश के साथ खुश थे। माताजी और पिताजी इस छोटे से परिवार में खुश तो थे लेकिन और पैसा कमाने के लिए बेटे समीर को दिन-रात औरों के बेटों की कहानियाँ सुना-सुना ताना देते रहते। रोज़ सुबह और शाम डायनिंग टेबल पर बैठ, एक बयौरा सा देते हुए बताया करते कि फलां के बेटे की तनख़्वाह इतनी हो गयी, फलां के बेटे ने फलैट बुक करवा दिया और फलाने ने तो कैश पेमैंट पर बड़ी गाड़ी खरीद ली।
ये सब सुन-सुनकर समीर परेशान हो गया और अपने ही घर में बेइज्जत होने से थककर बाहर जाने की तैयारी करने लगा।
माताजी-पिताजी के सांसारिक लोभ ने बेटे को अनुराधा और लव-कुश को छोड़ दूर किसी और शहर जाने पर विवश कर दिया। सब ठीक-ठाक ही चल रहा था लेकिन जल्द ही नये शहर, नयी नौकरी के साथ-साथ समीर जी को प्रेम भी नया हो गया।
एक ओर माताजी-पिताजी नोटों की चकाचौंध में होश खो चुके थे तो दूसरी ओर बेटे को इश्क का नशा चढ़ गया।
समीर जी पैसे से धनी होने के साथ-साथ दिल से भी धनी होते जा रहे थे। याद ही नहीं रहा कि उनका एक खुशनुमा घर-संसार है, जिसके ना होने पर सब खोखला हो जाएगा।
एक बार अनुराधा पर दिल हारे थे अबकी बार दीप्ति पर हार बैठे। दीप्ति मैडम के ये बॉस अपनी पहली प्रेमिका, जो अब इनकी पत्नि बन चुकी थी, जिसके साथ मिलकर इन्होंने एक प्यारा सा, छोटा सा घर-संसार बसाया था, जिसमें दो राजकुमार भी थे जिन्हें माता-पिता दोनों की ज़रूरत थी, वो भी याद नहीं रहे।
माताजी को कुछ नोट क्या ज़्यादा मिलने लगे, उनके लिए यही काफी हो गया था कि रिश्तेदारी में, समाज में, इज्जत में चार चाँद लग गये, कि उनका सुपुत्र औरों की तुलना में दोगुना कमाता है।
समीर साहब पर नया प्रेम ऐसा रंग चढ़ा गया कि अब उनका घर-संसार दीप्ति जी बन गयीं। अनुराधा का घर-संसार लव-कुश और लव-कुश का घर-संसार अनुराधा।
माताजी-पिताजी आज अपने हँसते-खेलते घर-संसार को बेटे की कमाई से ताजमहल बनाने का आनन्द ले रहे हैं। एक प्यारा सा घर-संसार, तीन भागों में बँट गया।

मौलिक व् अप्रकाशित।

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha on November 19, 2019 at 9:08am

आदरणीय विजय शंकर सर, आजकल ऐसे दृश्य आम होते जान पड़ रहे हैं। सौहार्द, नैतिकता व् प्रेम पूर्ण रिश्ते ख़त्म नहीं हुये हैं लेकिन इस तरह की दर्द भरी दास्तानें भी अब कम नहीं। काश ! ऐसे दृश्य और ना बढ़ें। आपने मेरी लघु कथा पर सकारात्मक टिप्पणी कर पुनः मुझे प्रोत्साहित किया है। आभार। सादर सर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 18, 2019 at 11:11am

आदरणीय सुश्री उषा जी , आज के घोर सांसारिकता पूर्ण युग में एक अत्यंत संवेदन शील मानवीय विषय पर लिखी आपकी लघु - कथा बहुत कुछ सोचने को उन्मुख करती है। गंभीर एवं सार्थक लघु - कथा के लिए बधाई , सादर।

Comment by Usha on November 18, 2019 at 8:43am

आदरणीय समर कबीर साहब, मेरी लघु कथा का प्रयास आपको पसंद आया, मेरे लिए हर्ष का विषय है। जी सर अवश्य विधा लिखना ज़रूरी है, भविष्य में ख्याल रहेगा। आभार। सादर।

Comment by Samar kabeer on November 16, 2019 at 3:04pm

मुहतरमा ऊषा जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
36 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
40 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
44 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
45 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
48 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
48 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने सुन्दर रचे हैं.…"
54 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय हरिओम भाईजी सुंदर सार्थक तीन छंदों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। गली …"
56 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"सिखलाया जाए अगर, बचपन से ही योग। तो  जीवनभर  व्यक्ति  से, दूर  रहेंगे …"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रानुकूल बहुत सुन्दर और सार्थक छंद सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी,  आपकी छंद-रचनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद।  आदरणीय हरिओम जी ने…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  रचना की प्रशंसा और विस्तार से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service