For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नकारात्मकता का प्रतीक और हम

इंसा नहीं उसकी छाया है

बिन शरीर की काया है

सृष्टि का संतुलन बनाने हेतु

ईश्वर ने ही उसे बनाया है||

 

सृष्टि में नकारात्मकता और सकारात्मक्तका समन्वय करके

अच्छाई बुराई में भेद बनाया है

सही गलत का मार्ग बता

प्रभु ने जीवन को समझाया है||

 

अंधेरा का मालिक बना

भयानक रूप उसको दे कर

जग जीवन को डराया है

जीवन का भेद बताया है||

 

प्रबल इच्छा संग मर, जो जाते

सपने पूरे जो, ना कर पाते

घटना-दुर्घटना में मृत्यू पाते

भूत-प्रेत जुनी में वही है जाते||

 

टूटे-फूटे खंडरों में लगे बसेरा

सुनशान गलियों,कहीं सड़कों पर रहे भटकते

नहीं तो अपनी मृत्यू जगह पर

अपने होने का अहसास कराते||

 

कहीं लटकते पेड़ो की डाली

कहीं चौराहो पर मिल वो जाते

कभी टोने-टोटके के संग घर में आता

अपने आकाओ का हुक्म निभाते||

 

मानसिक/शारीरिक कष्ट दे-दे कर

कब्जे में लिए शरीर को

शत्रु दल की खुशी बढ़ाते

भूत-प्रेत जुनी जो है पाते||

 

चिल्ला-चिल्ला कर शोर मचाते

इच्छा पूर्ति की खातिर वो

दुनियादारी से ना अब कोई वास्ता

घर-परिवार को परेशान है करते||

 

कर ना सका जो जीते जी

उन अतृप्त इच्छा को

पूरी करने कोशिश करते

इसलिए अंधेरे लोक से वापस आते||

 

कभी जीव के मुह से बोलते

कभी इंसान के

शरीर पर कब्जा जमा

कष्ट दे-दे खूब परेशान वो करते||

 

कुछ अच्छे तो कुछ होते बुरे

कुछ जिद्दी, कुछ होते सनकी

उल्टी सीधी हरकत कर

लोगो में भय बनाने की कोशिश करते ||

 

कुछ इच्छा पूरी कर आशीर्वाद दे जाते

तंत्र-मंत्र से जाते

तांत्रिको की मार भी खाते

ऐसे जिद्दी भूत भी होते ||

 

जग में होती सभी तरह की चीजे

मानो तो पत्थर में भी ईश्वर है

ना मानो तो केवल एक साधारण सा पत्थर होता

इस कहावत को सिद्ध कर वो जाते||

 

इस संबंध में मैं कहता

एक ही बात जीते जी जो जीने मरने को

कसमें खाते रहने एक दूजे के साथ

मरने के बाद दूरी बनाते उनसे उनके खास||

 

शुद्धता से वो दूर ही रहते

अपवित्रता में शक्ति पाते

अशुद्द रहना, अशुद्ध खाना

अशुद्धता देख से खुश हो जाते ||

 

ईश्वर से सदैव दुआ मनाओ

कभी भूत प्रेत का संग ना पाओ

स्वच्छ वातावरण अपने आस-पास

 इन नकारात्मकता को दूर भगाओ ||

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 404

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on November 4, 2019 at 10:01am

सर कबीर साहब आपका बहुत धन्यवाद 

Comment by PHOOL SINGH on October 30, 2019 at 12:52pm

कबीर साहब आपका मेरी रचना को अपना कीमती समय देने के लिए आभार|

Comment by Samar kabeer on October 29, 2019 at 12:02pm

जनाब फूल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
3 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service