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चाँद से अब दोस्ती का सिलसिला चलता रहेगा
कब तलक वह मुस्कुराता भेदमय मामा रहेगा?1

कौड़ियों का खेल हम करते नहीं, सब जानते हैं
मुँह दिखाई तक हमारा हर कदम पहला रहेगा।2

दूरियों का गम नहीं करते कभी हम इश्क वाले
पाँव रखने में सतह पर जोर कुछ ज्यादा रहेगा।3

आज इसरो की तपिश में तन-बदन पिघला जरा-सा
कल सुहाने और होंगे साथ में नासा रहेगा।4

क्यूँ लजाना कोटि नजरें प्यार से फिर फिर निहारें
मन हुआ जाता व्यथित, पर हाथ में खाका रहेगा।5

वक्त की रुसवाइयों का हम रहे कायल हमेशा
आँधियों में कब थमे, वह फेंकता पासा रहेगा।6

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by Manan Kumar singh on September 10, 2019 at 11:58am

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय समर जी,नमन।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2019 at 11:44am

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,बधाई ।

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