For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना अफ़्कार में मश्ग़ूल हर इक इन्साँ है(४३ )

कितना अफ़्कार में मश्ग़ूल हर इक इन्साँ है 
कोई बेफ़िक्र अगर है तो सियासतदाँ है 
**
ख़ाक उड़ती है जिधर देखूँ उधर सहरा-सी 
इस क़दर दिल का नगर आज मेरा वीराँ है 
**
बात गुस्से में कही फिर से ज़रा ग़ौर तो कर 
"जी ले तू प्यार के बिन " कहना बहुत आसाँ है 
**
कोई अफ़सोस नहीं गर मेरी रुसवाई का 
शर्म से क्यों हुई ख़म यार तेरी मिज़गाँ है 
**
मुख़्तलिफ़ आम नज़रिया-ए-मुहब्बत देखा 
कोई फ़िरदोष कहे कोई कहे ज़िन्दाँ है 
**
कौन तारीकी करे दूर भला तेरे सिवा 
सिर्फ़ अल्लाह तेरे दम से जहाँ रुख्शाँ है 
**
इन  अनासिर से बने जिस्म पे इतरा मत तू 
हुस्न हद से हो जियादा तो वबाल-ए-जाँ है 
**
उसको अब दार पे लटकाना ज़रूरी है बहुत 
जुर्म करता है वतन में जो शरर-अफ़्शाँ है 
**
है जहाँ प्यार वहीं अस्ल में फ़िरदोष 'तुरंत ' 
और तू ही तेरे फ़िरदोष का ख़ुद रिज़्वाँ है 
**
शब्दार्थ -अफ़्कार =चिंताओं ,मश्ग़ूल=संलग्न 
वीराँ=उजड़ा हुआ ,मिज़गाँ=पलक,मुख़्तलिफ़=अलग 
फ़िरदोष=स्वर्ग , ज़िन्दाँ=क़ैदख़ाना ,तारीकी=अँधेरा 
रुख्शाँ=प्रकाशमान ,अनासिर=पञ्चतत्व 
वबाल-ए-जाँ=जी का जंजाल ,दार =सूली 
शरर-अफ़्शाँ=उपद्रवी ,रिज़्वाँ=स्वर्गाधीश 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी | 

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 363

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 27, 2019 at 3:41pm

आपकी हौसला आफ़जाई के लिए बहुत बहुत आभार  Pradeep Devisharan Bhatt जी 

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on May 27, 2019 at 1:07pm

अच्छि गज़ल हुई गह्लौत जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service