For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ७५

2122 1122 1212 22/ 112

उसका बदला हुआ तर्ज़े करम सताता था
यार बेज़ार था कुछ यूँ कि कम सताता था //१

होके कुछ यूँ वो ब मिज़गाने नम सताता था
कब मैं समझा कि वो अबरू-ए-ख़म सताता था //२ 

दूर रहने पे तेरी क़ुरबतों की याद आई
पास रहने पे जुदाई का ग़म सताता था //३ 

जिनको इफ़रात थी रिज़्को ग़िज़ा की जीने में
ऐसे लोगों को भी कर्बे शिकम सताता था //४ 

पैकरे लफ़्ज़ के जल्वों में मुंकशिफ़ होकर
मेरे अहसास को हुब्बे कलम सताता था //५ 

बेवफ़ा की मैं समझता था सादा पुरकारी
और, क्यों हुस्न का फ़ैज़े निअम सताता था //६ 

ता'न उसकी यूँ सताती थी मेरे सीने को
ज्यों मेरी जेब को वज़्ने दिरम सताता था //७ 

मर गए तो हमें हाले अदम सताता है
साँस थी तो गमे बूदे किदम सताता था //८ 

अब तो तू है नहीं पे तेरे पास रह के भी
कब नहीं राज़ को तेरा अलम सताता था //९

~ राज़ नवादवी 

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

तर्ज़े करम- कृपा करने का ढंग; बेज़ार- विमुख; ब मिज़्गाने नम- भीगी बरौनियों के साथ; तिरछी भौहें (शेर में- तिरछी भौहों वाला); गिज़ा- भोजन, खाद्य पदार्थ; रिज्क- भोजन, जीविका, रोज़ी; कर्बे शिकम- अंतड़ियों का दर्द; पैकरे लफ़्ज़ के जल्वों में मुंकशिफ़- शब्दों के शरीर की छटा में अभिव्यक्त; हुब्बे कलम- कलम का प्रेम; सादा पुरकारी- दिखने में भला, मगर सच में धूर्त होने का भाव, छलिया पान;  फ़ैज़े निअम- नेमतों से प्राप्त होने वाले लाभ; ता'न- कटाक्ष, व्यंग; वज़्ने दिरम- सिक्कों का बोझ; हाले अदम- परलोक की परिस्थिति; गमे बूदे किदम- प्राचीन अस्तित्व का दुःख; 

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 3, 2018 at 7:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 3, 2018 at 11:43am

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 7:37pm

आदरणीय राहुल डांगी साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 7:37pm

आदरणीय शैलेश चंद्राकर साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 7:37pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 1, 2018 at 4:03pm

अच्छी ग़ज़ल

Comment by Shlesh Chandrakar on December 1, 2018 at 3:53pm

बहुत बढिया ग़ज़ल है राज़ नवादवी जी, बहुत बधाई।

Comment by Samar kabeer on December 1, 2018 at 3:31pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service