For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँववालों की भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी, उनको भी पता था कि जब किसी गाड़ी में लोग आते हैं तो कुछ न कुछ बांटते हैं. गाड़ी में से कुछ पैकेट निकाले जा रहे थे और चारो तरफ खड़े लोगों में से कई निगाहें बड़ी हसरत से उन्हें निहार रही थीं.
कुछ समय बाद छोटा सा मंच सज गया और गाड़ी से आये कुछ लोगों ने गांववालों को समझाना शुरू किया "सफाई बहुत जरूरी है चाहे वह घर की हो या अपने शरीर की. आप लोग आज से यह प्रण कीजिये कि आगे से सफाई का पूरा ध्यान रखेंगे. आज हम लोग स्वछता से सम्बंधित सामग्री वितरित करेंगे".
बीमार और कमजोर रग्घू भी पोते के सहारे चला आया था कि कुछ तो मिल ही जायेगा. जैसे ही पैकेट बाँटने शुरू हुए, एक और व्यक्ति ने ऊँची आवाज़ में कहा "और खाना खाने के पहले भी अपने हाथ साफ़ करना बहुत जरुरी है वर्ना गन्दगी पेट में चली जाती है और बीमार बना देती है".
रग्घू के कानों में अचानक खाना शब्द सुनाई दिया और उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी. उसने अपने सूखे होठों पर जीभ फेरी और अगले ही पल वह पोते का हाथ पकडे भीड़ में पूरी ताक़त से घुस गया.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 950

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on October 9, 2018 at 9:58pm

जीवन दायनी आधारभूत चीज खाना, जब भूख की तडप होती हैं तो क्या साफसफाई , सब सही।विचारोतजक, संदेशवाहक, साथ ही आधुनिक समाज पर व्यंग्य करती बेहतरीन रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय विनय सरजी। 

Comment by विनय कुमार on October 9, 2018 at 2:00pm

रचना के मर्म तक पहुंचकर विस्तृत टिपण्णी करने के लिए बहुत बहुत आभार आ डॉ विजय शंकर साहब

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 8, 2018 at 10:29pm

यह दया भाव, यह उदारता तो हम बचपन से देखते आ रहे हैं। काश यही साफ़ हो जाती।
सफाई पर व्यंग के लिए बधाई, आदरणीय विनय कुमार जी , सादर।

Comment by विनय कुमार on October 5, 2018 at 7:25pm

लघुकथा के मर्म तक पहुंचकर उसपर प्रोत्साहित करनेवाली टिपण्णी के लिए बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 5, 2018 at 5:30pm

"भूखे पेट और संभाषण/प्रवचन" की परिणति व सच्चा चित्र शाब्दिक करते हुए विचारोत्तेजक रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार साहिब।

Comment by विनय कुमार on October 4, 2018 at 7:28pm

लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर विस्तृत टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत आभार आ सुशील सरना जी

Comment by विनय कुमार on October 4, 2018 at 7:28pm

लघुकथा के मर्म तक पहुँच कर विस्तृत टिप्पणी करने के लिए बहुत बहुत आभार आ अजय तिवारी जी

Comment by Sushil Sarna on October 4, 2018 at 6:38pm

आदरणीय विनय कुमार जी में प्रस्तुत लघु कथा में एक करारा व्यंग छुपा हुआ है जो इस में निहित संवेदना को चित्रित कर रहा है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by Ajay Tiwari on October 4, 2018 at 5:15pm

आदरणीय विनय जी, एक और बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई.

इस के व्यंग की तह में एक मानवीयता है जो इसे असाधारण बनाती है. 

सादर 

Comment by विनय कुमार on October 4, 2018 at 4:42pm

बहुत बहुत आभार आ नीलम उपाध्याय जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
15 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
15 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service