For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"दिलवाली अब किस की? (लघुकथा)

"अपनी तो बहुत ख़ैर-ख़बर हो गई! चलो, अब सुनें, वो दिलवाली का कहिन?" बिहार ने एक-दूसरे के हालात-ए-हाज़रा सुनने-सुनाने के बाद यूपी से कहा।


"दिलवाली! ... अच्छा वोss ... जो अपने को दिलवाली कहती रही? अब कहां रही वैसी!" व्यंग्यात्मक लहज़े में यूपी ने अपना रंगीन गमछा लहरा कर कहा।


"अपन दोनों से तो बेहतर ही है! खलबली और हड़बड़ी तो सब जगह है!" मुल्क के नक्शे पर राजधानी पर दृष्टिपात करते हुए बिहार ने कहा - "दिल तो उसका वाकई पहले से भी बड़ा हो गया है! न जाने कितने किस्म के दवाब, अन्याय और ज़ुल्म सहती रही वो!"


"हां, बलात्कार से लत्कार तक ! ...और धुत्कार मिलती रही सत्कार पाने वालों से! तब भी हिली नहीं!" बिहार की बात की सोदाहरण व्याख्या करने की कोशिश यूपी ने की!


"क़ुदरत भी तो बाढ़ और फिर तबाही रूप में उसे सताती रही! बेचारी सिर्फ चीखती-चिल्लाती रही- "अरे, हमारी कोई नहीं सुन रहा! हमें कोई काम करने नहीं दे रहा!"


"हा हा हा.. ! तुम्हारे यहां तो रेप का तांडव भी होता रहा, ... पर बिहारी न तो डरे, न ही हारे! " अबकी बार एक रंग से सराबोर यूपी ने व्यंग्य कर डाला - "सत्ता-लव है, सत्ता-लव! दिलवालों और जिगरवालों की सहनशीलता, दिलवाली की तरह!"


"क्या मेरी तरह तुम्हें भी लगता है कि ये दिलवाली हो चली है अब दिलजलों की! लगता है मुल्क की राजधानी कहलाने का रुतबा भी खो देगी कालिखें पुतवाने के बाद!" यूपी का समर्थन सा करता बिहार बोला।


"पहले अपने आगामी हालात पर ग़ौर करो बिहारी साहिब। हमारे तो वारे-न्यारे हो गये! तुम भी हमारे ही रंग में रंग जाओ पुराने जमे हुए बदरंगों को धुलवाकर!" प्रलोभन भरी समझाईश देते हुए यूपी ने कह ही दिया - "ये दिलवाली तो गई काम से!"


मुल्क के नक्शे से दिल्ली का नक्शा तीखी टिप्पणियों के तेज़ झौकों से फड़फड़ाकर बोल उठा- "तानाशाहों की, न धौंस-तानों वालों कीsss ...दिल्ली अब भी है दिलवालोंsss की! ताक़त वतन की हमसे है, ह़िम्मत वतन की हमसे है, लोकतंत्र के हम रखवाले!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 6:06pm

रचना पर समय देकर अनुमोदन और विचार साझा करते हुए हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब और जनाब तेजवीर सिंह साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 3, 2018 at 4:47pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।राष्ट्रवाद को एक नये रंग में दर्शाती हुयी विचारोत्तेजक लघुकथा।

Comment by Samar kabeer on August 3, 2018 at 11:34am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
11 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
14 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
14 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
14 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
14 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service