For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेहाल जिन्दगी

बिखरे सूखे पत्तों के बीच
फूस की झोपड़ी में
बेहाल जिन्दगी
अटकी साँसे
दुहाई दे रही थीं
सिर्फ जीने के लिए
दूर स्थित खेत में
कुछ काले श्वान
दूषित मटमैले
चेहरों पर भौंक रहे थे
बार बार गूँजती आवाज
सहमा डरा चेहरा
बहुत निराश
कम्पित भयावहता के बीच
कुछ टूटे फूटे बर्तन
बिखरे पड़े इधर उधर
बहते अश्रुओं के बीच
कोस रहे थे
अपनी बदनसीबी पर
निरीह आँखे निहार रही थी
ऊँचे मुंडेर पर
अट्टालिकाओं की नींव में
स्वेद बहाने वाला अभावग्रस्त
एक अदना सा आदमी
जिंदगी और मौत के बीच
एक-एक दाने को मुहाल
सूखती अतड़ियाँ
किसी के सेवार्थ
दफ़न होती जिंदगी
सुदूर आसमान में
भौतिक कोलाहल के बीच
वही बिखरे पत्ते
फटी कथरी
टूटे फूटे बर्तन
रह रह कर भौंकते श्वान
छटपटाती आत्मा की आँखे
सिर्फ न्याय के लिए

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 3, 2017 at 9:19pm
आदरणीय सलीम रजा साहब आपके उत्साह वर्धन से मन आह्लादित हुआ ,दिल से आभार
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 3, 2017 at 9:18pm
आदरणीय नरेंद्र जी आपने उत्साह वर्धन किया आपको दिल से शुक्रिया
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 3, 2017 at 9:16pm
आदरणीय बृजेश जी आपकी पैनी नजर से लेखन सार्थक हुआ,आपको बहुत बहुत धन्यवाद ,स्नेह बनाएं रखें
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 3, 2017 at 9:02pm
आदरणीय समर साहब जी आपके उत्साह वर्धन से मन प्रसन्न हुआ,आप अपना स्नेह बनाये रखें, आपको दिल से आभार
Comment by narendrasinh chauhan on November 2, 2017 at 5:49pm

बहुत सुंदर रचना

Comment by Samar kabeer on November 1, 2017 at 8:36pm
जनाब डॉ.छोटेलाल सिंह जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, क्या मंज़र कशी की है आपने अपने शब्दों में,एक चित्र सामने आ गया,बहतरीन कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 8:35pm

जनाब  छोटेलाल सिंह जी ,
खूबसूरत कविता के लिए बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2017 at 7:55pm
अच्छी कविता हुई आदरणीय डा.साहब..मुझे लगता है आपने इस कविता में कई बातें कहने की कोशिश की है लेंकिन पूरी तरह से कह नहीं पाये..कम्पित भयावहता' ये बात कुछ समझ नहीं आई??इसी तरह निरीह आँखें निहार रही थीं ऊँचे मुंडेर पर!!क्या??निहार रही थीं??मुझे लगता है यहाँ पर की जगह को होता तो ज्यादा बेहतर लगता।माफ़ कीजिये जो मुझे लगा वो लिख दिया।क्योंकि विषय और भाव बहुत ही अच्छे परिलक्षित हो रहे हैं।सादर
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 1, 2017 at 6:39pm
आदरणीय विजय निकोर साहब उत्साह वर्धन के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 1, 2017 at 6:38pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपने हमें उत्साहित किया आपको दिल से आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
16 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service