For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ड्रामा और हकीकत(लघुकथा)

गेट के सामने भीड़ इकठ्ठी हो रही है, कुछ लोग क्रोध से भर कार्यालय के अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं । द्वारपाल भीड़ को रोकने की कोशिश में नकाम हो रहा है।
प्रेस अपने वीडियो कैमरे के साथ कार्यालय तक पहुँच गई है, और पत्रकार कई तरह के सवाल पुछ रहे हैं जैसे “वार्ड नं ३ में होने वाली मौत के बारे आप क्या कहना चाहेंगा। आप बताएँ मौत कि लिए जिम्मेदार चिकित्सक पर क्या एकशन लिया गया है।“
"आप कैसे कह सकते हैं कि मौत के लिए चिकित्सक ही जिम्मेदार है ?" बड़े टेबल की दुसरी तरफ़ बैठे साहिब ने कहा। मैने जाँच बिठा दी है। जो भी फैसला आयेगा, अगर कोई दोषी पाया गया तो उस पर सख्त करवाई की जायेगी ।" अधिकारी ने फिर दुहराहा ।
ये सुनते ही बहुत सी आवाज़े चुप हो गई,कुछ लोगों ने झुके चेहरे के साथ गेट से बाहर की तरफ चलना शुरू किया, और कुछ लोग अभी भी वहीं खड़े थे।
धीरे धीरे सभी लोग कार्यालय से बाहर आ गए।
एक महिला और साथ पांच – छह वर्ष का बच्चा अभी भी गेट पर हाथ जोड़ वहाँ फर्स पे बैठे हैं।
कुछ समय के बाद बाहर आते हुए,बाबू ने पूछा ।"क्यों बीबी, आप यहां बैठी हो।"
"साहिब जी,लाश !
“क्या मतलब।“
“ये लाश साहिब जी मेरे घर वाले की है,कैसे ले कर जायें, हमारे पास तो कोई पैसा नहीं।" हाथ जोड़े हुएमहिला ने बाबू से कहा।
तब उसे लगा कि जो लोग इस के साथ आए, वो नाटक का पार्ट अदा कर चले गए और ये लाश कल सुबह की अख़बार की हेड लाइन बन जायेगी।

"मौलिक व अप्रकाशित"   

 

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on May 22, 2017 at 9:17am

बढ़िया लघुकथा है आदरणीय मोहन बेगोवाल जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आदरणीय रवि सर की बातों का ध्यान रखिएगा. शुभकामनाएँ. सादर.

Comment by मोहन बेगोवाल on May 16, 2017 at 11:14pm

गेट के सामने भीड़ इकठ्ठी हो रही है, कुछ लोग क्रोध से भर कार्यालय के अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं । द्वारपाल भीड़ को रोकने की कोशिश में नकाम हो रहा है।
प्रेस अपने वीडियो कैमरे के साथ कार्यालय तक पहुँच गई है, और पत्रकार कई तरह के सवाल पुछ रहे हैं जैसे “वार्ड नं ३ में होने वाली मौत के बारे आप क्या कहना चाहेंगा। आप बताएँ मौत कि लिए जिम्मेदार चिकित्सक पर क्या एकशन लिया गया है।“
"आप कैसे कह सकते हैं कि मौत के लिए चिकित्सक ही जिम्मेदार है ?" बड़े टेबल की दुसरी तरफ़ बैठे साहिब ने कहा। मैने जाँच बिठा दी है। जो भी फैसला आयेगा, अगर कोई दोषी पाया गया तो उस पर सख्त करवाई की जायेगी ।" अधिकारी ने फिर दुहराहा ।
ये सुनते ही बहुत सी आवाज़े चुप हो गई,कुछ लोगों ने झुके चेहरे के साथ गेट से बाहर की तरफ चलना शुरू किया, और कुछ लोग अभी भी वहीं खड़े थे।
धीरे धीरे सभी लोग कार्यालय से बाहर आ गए।
एक महिला और साथ पांच – छह वर्ष का बच्चा अभी भी गेट पर हाथ जोड़ वहाँ फर्स पे बैठे हैं।
सभी के जाने के बाद बाहर आते हुए,बाबू ने पूछा ।"क्यों बीबी, आप यहां बैठी हो।"
"साहिब जी,लाश !
“क्या मतलब।“
“ये लाश साहिब जी मेरे घर वाले की है,कैसे ले कर जायें, हमारे पास तो कोई पैसा नहीं।" हाथ जोड़े हुए महिला ने बाबू से कहा।
 महिला कभी बच्चे और कभी  आकाश की तरफ  देखती रही ।

Comment by मोहन बेगोवाल on May 16, 2017 at 11:01pm

 आदरनीय रवि जी, रचित लघुकथा के बारे अपनी  कीमती राए देने के लिए बहुत बहुत धन्वाद, लघुकथा की बारीकियां समझने की कोशिश कर रहाँ हूँ, आप की रहनुमाई मेरा मार्गदर्शन करती रहेगी । 

Comment by Ravi Prabhakar on May 16, 2017 at 9:36pm

आदरणीय बेगोवाल जी, बहुत व अच्‍छी प्रभावशाली रचना है शुभकामनाएं । वर्तनी अशुद्धियां मज़ा खराब कर रहीं है। रजत जयंती आयोजन पर भी आपकी लघुकथा बहुत बढ़ीया लगी थी । / कुछ समय के बाद बाहर आते हुए,बाबू ने पूछा ।"क्यों बीबी, आप यहां बैठी हो।"/ यहां 'कुछ समय के बाद' के स्‍थान पर 'सभी के जाने के बाद' प्रयोग करने से कथा में कालखंड से आसानी से बचा जा सकता है। / तब उसे लगा कि जो लोग इस के साथ आए, वो नाटक का पार्ट अदा कर चले गए और ये लाश कल सुबह की अख़बार की हेड लाइन बन जायेगी।/  इस पंक्‍ित में लेखकीय प्रवेश प्रतीत हो रहा है जो लघुकथा में अवांछनीय है। ओवरऑल कथानक की दृष्‍िट से लघुकथा अत्‍यंत प्रभावशाली है पर शैल्‍पिक दृष्‍िट से कुछ कमजोर लग रही है। पुन: शुभकामनाएं निवेदित हैं । सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 15, 2017 at 8:47pm
रोजमर्रा के जीवन में आजकल ये ड्रामा खूब चल रहा हैशानदार कथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन जी सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 6:56pm
बहुत् खूब!एक विसंगति को बड़ी संजीदगी से पकड़ा और कथा में ढाला है आपने आदरणीय बेगोवाल सर।हार्दिक बधाई स्वीकारें।टँकन त्रुटियाँ आपसे अक्सर हो ही जाती हैं!सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service