For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क़ैद रहा ...

वादा
अल्फ़ाज़ की क़बा में
क़ैद रहा

किरदार
लम्हों की क़बा में
क़ैद रहा

प्यार
नज़र की क़बा में
क़ैद रहा

इश्क
धड़कनों की क़बा में
क़ैद रहा

कश्ती
ढूंढती रही
किनारों को
तूफ़ां
शब् की क़बा में
क़ैद रहा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 27, 2017 at 3:12pm

आदरणीया  Arpana Sharma जी सृजन के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on April 27, 2017 at 3:11pm

आदरणीय   MANINDER SINGHजी प्रस्तुति के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on April 27, 2017 at 3:10pm

आदरणीया  Arpana Sharma जी सृजन के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by MANINDER SINGH on April 27, 2017 at 2:02pm

बहुत बढ़िया सर....

Comment by Arpana Sharma on April 26, 2017 at 9:43pm
रूहानी जज़्बातों को पिरोये सुंदर रचना।
Comment by Sushil Sarna on April 26, 2017 at 5:07pm

आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब सृजन को भावों को मान देने का हार्दिक आभार। आपके इस सूक्ष्म सुझाव का हार्दिक आभार। मैं आपसे सहमत हूँ. अभी इसे पुनः संशोधित कर प्रेषित करता हूँ। ऐसा ही स्नेह बनाये रखें सर।

Comment by Sushil Sarna on April 26, 2017 at 5:04pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी प्रस्तुति के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2017 at 4:08pm
आ. सुशील सरना जी अच्छी रचना है, बधाई आपको। एक बात मगर कहना चाहूँगा कि अल्फ़ाज़ अपने आप में बहुवचन है उसे अल्फ़ाजों कहना ठीक नहीं है।
Comment by narendrasinh chauhan on April 26, 2017 at 2:28pm

 खूब सुन्दर रचना 

Comment by Sushil Sarna on April 26, 2017 at 12:45pm

आदरणीय  सतविन्द्र कुमार जी प्रस्तुति के भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service