For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आत्महत्या
के कई ख्याल,
मेरे दिमाग में आते है
उस तरह
जैसे बच्चों को को अपने खिलौनों के आते है।
खुद को
बौना महसूस करता हूँ
हर उस सेकण्ड
जब भी जीवन-मृत्यु के चक्र के
बीच
देखता हूँ इतिहास में मरे हुए लोग।
बना रहा था
एक चित्र,
मोनालिसा की बहन का/
और
मेरी होने वाली बेटी को पीले रंग के ब्रश से प्यार है।
इस वक़्त
हमारे घर के एकमात्र टीवी में
बना हुआ था माहौल/ इटली के भूकंप का।
टीवी की धारारेखीय शक्ल ने रिपोर्टर
के वाक़् यन्त्र का सहारा लेकर
बताया,
"एक सो सोलह लोगों की मौत"
मोनालिसा की बहन
बन गयी उसकी मौसी की शक्ल में
और बेटी के हाथ ने
जानबूझकर गिरा दिया रंग का डिब्बा/
मेरी बेटी के हाथ पीले हो गए
(समय से सोलह साल पहले)

जब भी मेरे दाँतो पर
रगड़ खाता है,
पेप्सोडेंट का चिपचिपा पदार्थ
तो हंस देता हूँ
"ब्रह्माण्ड की तीन चीजों पर"
मेरे कुतुबमीनारनुमा कमरे की
रोती हुई दीवार
पर
राजगुरु और सुखदेव की
आधी रंगीन फ़ोटो के
बीच लटकी हुई एक कील
मुझे हंसते हुए कई बार देख लेती है।
और
मुझे
वह इंसान बहुत पैसे वाला लगता है,
जो पैंसठ रुपये में
बीच वाली फ़ोटो खरीद ले गया था।
मुझे मंगलवार का दिन; दिन जैसा नही लगता।
हनुमान जी की करोड़ों फोटोज पर
चढ़ाये गए
चांदी के कई गोल्ड पेपर।
उन्हीं दिनों
एक मन्दिर के पीछे,
मां की कोख में मर गया भावी आइंस्टीन।
उसमे कैल्सियम की कमी नही थी।
सिल्वर, गोल्ड और कैल्सियम
ब्रह्माण्ड के यही वे तीन तत्व थे।
जब भी कोई आधे आदमी
या
पूरी औरतें,
दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय ढूंढता है
तो मुझे
अपने सातवीं क्लास के दोस्त
सलमान खान की याद आती है।
क्या आपको पता है,
एक जिन्दा आदमी का
दिमाग बहुत नर्म होता है
और इसे चाकू से/ आसानी से काटा जा सकता हैं।
सलमान खान पानी पीकर मरा था।
वो स्कूल के दिन थे।
और मैं अनपढ़ था।

( जब भी किसी ऊंट के मुंह में जीरा देखता हूँ तो थोड़ी बहुत कविता लिखना सीख लेता हूँ। मैं किसी कॉफी अन्नान को नही जानता )
-कत्ले आम

- कवि बृजमोहन स्वामी 'बैरागी'

【मौलिक एवम् अप्रकाशित 】

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 21, 2017 at 11:12pm
:)))
Comment by बृजमोहन स्वामी 'बैरागी' on April 20, 2017 at 10:13pm
धन्यवाद सतविंदर कुमार जी।
जब आप भाव प्रधान पक्ष समझ लेंगे तब यह ब्रेकेट्स की आवर्तिता भी समझ में आ जयेगी। धन्यवाद अगेन।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 19, 2017 at 9:07pm
आदरणीय कवि बैरागी जी,इस प्रस्तुति में आप ने बहुत कुछ कहने की कोशिश की है और मैंने समझने की बहुत सारी कोशिश की है।अतुकांत कविताओं को समझने में मुझे वैसे भी समय लगता ही है।कई बार पुनः भी पढूँगा ही।फिलहाल के लिए सादर बधाई!मुझे कविता में यूँ ब्रकेट्स कीआवृति मुझे जरा असहज अवश्य लगी!सादर
Comment by नाथ सोनांचली on April 18, 2017 at 4:26am
आद 0 बैरागी जी सादर अभिवादन, आपकी यह दूसरी रचना भी पहली जैसी ही रही, क्या लिखे, और क्यो, सब मुझ जैसे प्राथमिक पास इंसान के समझ से परे है। शेष गुणीजन बताएंगे
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 17, 2017 at 9:55pm

रचना समझ में आने के बाद टेलीग्राम कर के सूचित करने का प्रयत्न करूंगा 
.
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service