For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ख़तरनाक आतंकवादी

ढूँढो किसी मुफ़लिस को
ग़ुमनाम तंग गलियों से
और फिर मुफ़ीद जगह पर
कर दो एनकाउण्टर
मगर आहिस्ते से
इतने आहिस्ते
कि चल सके पूरे दिन
दहशत का लाइव शो
इस बात को ध्यान में रखते हुए
कि उसे करना है घोषित
भोर की पहली किरण से ही
एक ख़तरनाक आतंकवादी
और फिर रख देना है
उसकी लाश के पास
एक झण्डा
कुछ किताबें
नक़्शे और नोट
व थोड़े से हथियार
जिससे ये डर पुख़्ता होकर
बदल जाए मज़हबी वोटों में
और बना दे अपनी सरकार।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on March 9, 2017 at 10:30am
आदरणीया प्रतिभा मैम, मैं आपकी भावनाओं की दिल से क़द्र करता हूँ। रचना पर उपस्थित होकर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on March 9, 2017 at 10:27am
आदरणीय शरदिंदु मुख़र्जी सर, सादर अभिवादन। आपके द्वारा उठाये गए प्रश्नों के सन्दर्भ में सर्वप्रथम मैं यह स्पष्ट करना चाहूँगा कि इस रचना का उद्देश्य किसी भी प्रकार से किसी को आहत करना या उसके ऊपर कीचड़ उछालना कदापि नहीं है। साथ ही, न तो इसका उद्देश्य किसी को नकारात्मक रूप से प्रेरित या प्रोत्साहित करना है और न ही आतंकवादी मुठभेड़ों को सरलीकृत करना। यह रचना किसी देश विशेष में घटी घटना के विश्लेषण से भी सम्बन्धित नहीं है। वस्तुतः इस रचना का केन्द्रबिन्दु 'फाल्स फ़्लैग टेररिज्म' है। 'फाल्स फ़्लैग' एक ऐसी अवधारणा है जिसमें कोई सरकार अथवा संस्था अपने निजी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किसी दूसरे पर आरोप लगाते हुए किसी बड़ी घटना को स्वयं ही अंजाम देती है। इसके पीछे विभिन्न प्रकार के उद्देश्य निहित हो सकते हैं। ऐसे ही एक उद्देश्य को इस कविता की विषयवस्तु बनाया गया है। इस फाल्स फ़्लैग का प्रयोग किसी देश पर युद्ध थोपने के लिए भी किया जाता है। फाल्स फ़्लैग के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए मैं एक लिंक दे रहा हूँ जिसमें विभिन्न घटनाओं का विवरण भी उपलब्ध है : http://www.washingtonsblog.com/2015/02/x-admitted-false-flag-attack...
आपका हार्दिक आभार, सादर।
Comment by pratibha pande on March 9, 2017 at 10:23am
मै आदरणीय शरदिन्दु जी से पूरी तरह सहमत हूँ देश की सुरक्षा से जुड़े मद्दो पर बयानबाजी/ कलमबाजी ठीक नही।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on March 9, 2017 at 2:39am
किसी राजनैतिक चिंतन के पक्ष अथवा विपक्ष में कहने का अधिकार हमारे देश में सभी को प्राप्त है, लेकिन हमारी सुरक्षा के लिए जो निरंतर अपनी जान पर खेल रहे हैं उन पर कीचड़ उछालने का अधिकार आपको किसने दिया भाई महेंद्र कुमार जी ? आप यदि रचनाकार हैं तो सावधान हो जाएँ. आपके राजनैतिक विश्वास से ऊपर उठकर देशहित में रचना करें. कोई आक्षेप लगाने से पहले पूरे परिप्रेक्ष्य का समुचित अध्ययन करें और सबूत के साथ आरोप लगाएँ. ऐसी रचना का,व्यर्थ में ही, क्या नकारात्मक परिणाम हो सकता है उस पर स्वयं विचार कीजिएगा.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service