For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात (ग़ज़ल)

बह्र 1212 1122 1212 1121/112

अगर सभी के दिलो में हो सिर्फ प्यार की बात
नही कठिन है मिटाना जहाँ से खार की बात

हिरोशिमा से सबक लें सभी जो मुल्क अगर
कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात

जुबाँ कभी मेरी खाली न जाये इसलिए तो
कभी किसी से न की भूलकर उधार की बात

हुआ चलन जो मो'बाइल का हर जगह गोया
कि अब नही यहाँ होंगी किसी से तार की बात

दिखा न आँख हमे इस कदर समझ बुजदिल
हैं शेर हम नही करते कभी सियार की बात

दिखा रही है सियासत भी सब्जबाग हमे
किसे है फ़िक्र करेगा जो रोजगार की बात

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 866

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 8:10pm
आद0 बहन राजेश कुमारी जी आपकी प्रशंसा से नयी ऊर्जा का संचार होता है, दिल से आपका आभार। इस ग़ज़ल पर आद0 उस्ताद समर साहब से इस्लाह लिया था, सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2017 at 7:31pm

वाह्ह्ह्ह सुरेन्द्र भैया बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है 

हिरोशिमा से सबक लें सभी जो मुल्क अगर
कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात---एक सार्थक सन्देश देता हुआ शेर 

सभी शेर उम्दा हुए हैं दिल से बधाई स्वीकारें 

गोया का प्रयोग यहाँ कितना सही है ..बस इस पर मुझे संशय है 

Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 7:10pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी आपकी प्रशंसा हमे अभिभूत करती है, दिल से आभार आपको।
Comment by Mohammed Arif on March 4, 2017 at 6:05pm
वाह!वाह!!वाह!!!बहुत ख़ूब आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी । कोई एक शे'र हो तो कहूँ , यहाँ तो हर शे'र लाजवाब है । शे'र दर शे'र दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 5:52pm
आदरणीय आशुतोष मिश्र जी ग़ज़ल पसंद आयी, लिखना सार्थक हुआ, आभार आपका
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 4, 2017 at 5:45pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी सार्थक सन्देश देती है यह शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई स्वीकार काटें सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service