For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक तेरे तसव्वुर ने महबूब यूं संवार दी ज़िन्दगी

कि तेरे बगैर भी हमने हँस कर गुजार दी ज़िन्दगी

राहें -मुहब्बत में दर्दो -ग़म देने वाले बेदाद सुन

तेरी इस सौगात के बदले हमने निसार दी ज़िन्दगी

तमाम उम्र यूं रखा हमने अपनी साँसों का हिसाब

जैसे किसी सरफ़िरे ने ब्याज़ पर उधार दी ज़िन्दगी

बात मुक़दर की जब आये शिकवा -गिला बेमानी है

जिसने तुझे गुल बनाया उसी ने मुझे ख़ार दी ज़िन्दगी

तूं ही बता ऐ ख़ुदा उसकी आतिश -अफ़सानी कैसे बुझे

चाह-ऐ-सुकूं में जिस शख्स को तूने अंगार दी ज़िन्दगी

हर इक ग़म को बड़े करीने से हँसी में छुपा लिया हमने

ऐ ख़ुदा तेरा शुक्रिया ,क्या खूब हमें फनकार दी ज़िन्दगी

किनारों की खफगियों से इस दर्ज़ा शिकस्त हुआ दिल

आख़िरकार "आशा " ने गिर्दाब में उतार ली ज़िन्दगी

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 6, 2013 at 2:34pm

आदरणीया आशा जी:

 

हर इक ग़म को बड़े करीने से हँसी में छुपा लिया हमने
ऐ ख़ुदा तेरा शुक्रिया ,क्या खूब हमें फनकार दी ज़िन्दगी

 

इस बेहद खूबसूरत और दिलकश गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by anupama shrivastava[anu shri] on January 14, 2011 at 1:03pm
तमाम उम्र यूं रखा हमने अपनी साँसों का हिसाब

जैसे किसी सरफ़िरे ने ब्याज़ पर उधार दी ज़िन्दगी
bahut khoob................asha ji.
Comment by jagdishtapish on August 7, 2010 at 7:47pm
माननीय आशा जी
तमाम उम्र हमने रखा अपनी सांसों का यूँ हिसाब --
जैसे किसी सरफिरे ने ब्याज पर दी उधार ज़िन्दगी |
वैसे तो ज़िन्दगी पर बहुत कुछ कहा सुना जाता रहा है
लेकिन आपने अपने एक अलग से ही अंदाज में ज़िन्दगी और सांसों
के बीच के रिश्ते को ब्याज से जोड़कर परिभाषित किया बहुत अच्छी रचना
ह्रदय से धन्यवाद आपको --सादर
Comment by asha pandey ojha on July 18, 2010 at 1:49pm
@ Baban bhaiya @ Ganesh ji bhaiya @ Miraz bhiya @ satish Ji Bhiya W mere parm aadrniy Bhaisaahb Yograaj ji saahb aap sabhee ka sneh mere liye duniya kee sabse kimtee doulat hai .. aap sabhee ne mujhe padha w daad dee uske liye aap sabhee ke prti dil kee ghrai se aabharee hun ..bahut bahut ,shukriya ..aabhar
Comment by asha pandey ojha on July 18, 2010 at 1:45pm
main O B O ke tamam bhaiyon w bahno se haathjod kar mafee mangtee hun ki mera G mail kaam n kar pane kee wazh se main bahut dino se mere pariwaar ke sadsyon se milne se wanchit rahee aaj kam se kam do ghante tak koshish karne par G mail khula tab main punh aap logon ke beech hazir hui hun ..umeed hai aap sab log mujhe maaf karenge

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 10, 2010 at 10:31pm
Bahut badhiya gazal likhi hai aasha didi, aaj kal aap ka aana nahi ho raha hai OBO par kyaa baat hai, aap thik hai na ?

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 28, 2010 at 12:16pm
मोतियों की तरह पिरो पिरो कर शेयर कहे हैं आपने आशा जी , गज़ल पढ़ कर आनंद आया ! मतला और मक़ता दोनों ही निहायत खूबसूरत हैं ! यूँ तो हर शेअर आला मयारी है मगर ये दो शेअर दिल में उतर गए :

//तमाम उम्र यूं रखा हमने अपनी साँसों का हिसाब
जैसे किसी सरफ़िरे ने ब्याज़ पर उधार दी ज़िन्दगी//
//हर इक ग़म को बड़े करीने से हँसी में छुपा लिया हमने
ऐ ख़ुदा तेरा शुक्रिया ,क्या खूब हमें फनकार दी ज़िन्दगी//

इस उम्दा गज़ल के लिए आपको दिल से बधाई देता हूँ !
Comment by satish mapatpuri on June 28, 2010 at 11:50am
राहें -मुहब्बत में दर्दो -ग़म देने वाले बेदाद सुन

तेरी इस सौगात के बदले हमने निसार दी ज़िन्दगी

तमाम उम्र यूं रखा हमने अपनी साँसों का हिसाब

जैसे किसी सरफ़िरे ने ब्याज़ पर उधार दी ज़िन्दगी

बात मुक़दर की जब आये शिकवा -गिला बेमानी है

जिसने तुझे गुल बनाया उसी ने मुझे ख़ार दी ज़िन्दगी
फ़क़त मैं आपको दाद ही दे सकता हूँ , लाजबाब आशा जी.
Comment by baban pandey on June 27, 2010 at 11:12pm
तमाम उम्र यूं रखा हमने अपनी साँसों का हिसाब

जैसे किसी सरफ़िरे ने ब्याज़ पर उधार दी ज़िन्दगी......lajawaw...asha ji.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service