For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल - अनमोल पल थे हाथ से सारे फिसल गये

221 2121 1221 212*

अनमोल पल थे हाथ से सारे फिसल गये
अपनों ने मुंह को फेर लिया दिन बदल गये।।

कुछ ख्वाब छूटे कुछ हुए पूरे, हुआ सफर
यादो के साथ साल महीने निकल गये।।

शरमा के मुस्कुरा के जो उनकी नजर झुकी
मदहोश हुस्न ने किया बस दिल मचल गये।।

बचपन के मस्त दिन भी हुआ करते थे कभी
बस्तो के बोझ आज वो बचपन कुचल गये।।

ओढे लिबास सादगी का भ्रष्ट तंत्र में
नेता गरीब के भी निवाले निगल गये।।

करते है बेजुबान को वो क़त्ल इस तरह
वहशत को देख कर ये मनाज़िर दहल गये।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1351

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on October 17, 2016 at 2:27pm
आदरणीय प्रमोद श्रीवास्तव जी आपको गजल का मन देने के लिए धन्यवाद
Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on October 17, 2016 at 12:34pm

"नेता गरीब के भी निवाले निगल गये"

बहुत सुंदर कटाक्ष, एकदम पैनी। तहे दिल से बधाई स्वीकार  करें। 

Comment by नाथ सोनांचली on October 16, 2016 at 10:38pm
अलका जी सादर अभिवादन
Comment by नाथ सोनांचली on October 16, 2016 at 10:37pm
आद0 राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम।
Comment by नाथ सोनांचली on October 16, 2016 at 10:37pm
विजय जी ह्रदय से धन्यवाद मित्र
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 16, 2016 at 9:15pm

वाह्ह्ह्ह  बहुत सूंदर  ग़ज़ल  है आद० सुरेन्द्र नाथ जी हार्दिक बधाई। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 13, 2016 at 8:18pm

वाह्ह्ह्ह  बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने आद० सुरेन्द्र नाथ जी हार्दिक बधाई 

Comment by vijay nikore on October 13, 2016 at 3:18pm

गज़ल अच्छी बनी है। मुबारक ।

Comment by नाथ सोनांचली on October 10, 2016 at 7:54pm
जनाब समर कबीर साहब आपके आशीष मिली तो मेहनत सफल हुई
Comment by Samar kabeer on October 10, 2016 at 5:30pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बढ़िया सुझाव ............ सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"वाह "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"वाह ...................... बढ़िया सुझाव ..................... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बढ़िया सुझाव .... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव  धन्यवाद अमित जी "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय नादिर खान जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...... हार्दिक बधाई ..... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय तिलक राज कपूर सर, आज आपकी ग़ज़ल का लुत्फ़ ले रहा हूँ. विस्तृत चर्चा कल ...... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीया ऋचा यादव जी, इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय जैफ जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. वरिष्ठ जनों के  सुझाओं पर ध्यानकर्षण निवेदित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार ... सादर "
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service