For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औकात (लघु कथा): कथा-सम्राट की जयंती पर विशेष!

विमला और विशाल झगड़ रहे हैं।कैफे में बैठे लोग यह देखकर चकराये हुए हैं।अब तक उन लोगों ने इन दोनों का हँसना-खिलखिलाना ही देखा था,पर आज तो नजारा ही कुछ और है।विमला एकदम से भिन्नायी हुई है।विशाल ने कुछ कहना चाहा,पर वह खुद उबल पड़ी-
बस करो,अब रहा ही क्या कहने को......?
-मेरा मतलब, सब कुछ तो सहमति से ही हुआ था न?
-हाँ क्यों नहीं,पर कुछ और भी तो बातें हुई थीं कि नहीं,बोलो।
-हाँ,पर शादी के लिये घर वाले राजी नहीं हैं न ।उन्हें कैसे भी पता चल गया है कि तुम वहीदा हो,विमला नहीं।
-बस इसीलिये?
-हाँ,तो और क्या?
-बताओ तो।तुम्हारी पत्रकारिता चमकाने के लिये मैंने क्या नहीं क्या?कहाँ-कहाँ बिछकर भेदभरी सूचनाएँ एकत्र करती रही, तुम्हारी रिपोर्टिंग की धार बनती रही।और अब तुम.....।
-प्लीज बात समझो वी.।मैं मजबूर हूँ।
-नहीं तुम कायर हो।धर्म भीरू,स्वार्थी कहीं के।तुम डरपोक खानदान से हो।
-बस.....अब एक लफ्ज भी आगे नहीं।तुम्हारी बिसात क्या है?
-हाँ विशाल,मेरी बिसात ही क्या है?पर तुम मर्दों की औकात पता कर लेती है ,बस।
वह सन्न से कैफे से निकल गयी।

.
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on August 1, 2016 at 10:39pm
आभार आपका आदरणीया राजेश कुमारी जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2016 at 9:34pm

बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है आद० मनन कुमार जी हार्दिक बधाई 

Comment by Manan Kumar singh on August 1, 2016 at 5:13pm
शुक्रिया मोहतरम समर साहब!
Comment by Samar kabeer on August 1, 2016 at 1:41pm
जनाब मनन कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ भाई आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
28 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी ठीक है *इल्तिजा मस'अले को सुलझाना प्यार से ---जो चाहे हो रास्ता निकलने में देर कितनी लगती…"
44 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः । "गिर के फिर सँभलने…"
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ठीक है खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो  मौत   को   दहलने में …"
58 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service