For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितने ही गिद्धमानव
आकाश में मुक्त होकर
उड़ रहे हैं
क्योंकि उनके मुँह पर
खून के निशान नहीं पाये गए
और तीन सौ रुपये चुराने वाला
अपनी सज़ा के इंतज़ार में
वर्षों जेल में सड़ता रहा
मैंने एक अवयस्क बलात्कारी को
हत्या करने के बाद इत्मीनान से
सुधारगृह जाते हुए देखा है

मैं क़ानून की क़ैदी हूँ ।


स्टोव हों या कि
बदले जमाने के गैस चूल्हे
बस बहू का आँचल थामते हैं
'न' सुनकर जगे पुरुषत्व के
नाखूनों से रिसते तेज़ाब से
झुलसता आ रहा है
स्त्री का चेहरा
अंतरिक्ष को बींधती ,समुद्र को चीरती
महिला के कपड़ों की लंबाई पर
समाज की ठेकेदारों की बहस
सुनती हूँ और बस खीजती हूँ

मैं वर्जनाओं की क़ैदी हूँ ।


सामने से गुजरती हुई
कार की खिड़की से निकल
लहराकर आसमान की तरफ
उड़ते हुए चॉकलेट के रैपर्स
सड़क के किनारे खुली नालियों से
उचककर मुँह चिड़ाते हुए
चिप्स के खाली पैकेट
देखकर कुढ़ती हूँ मैं
कैमिकल्स में डूबी सब्जियाँ
रंगों में नहायी दालें
जानते बूझते भी खरीदती हूँ

मैं व्यवस्था की क़ैदी हूँ।

(तनूजा उप्रेती)

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on July 18, 2016 at 8:54pm

रचना को पसंद करने और सराहने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विजय जी,आदरणीय अशोक जी एवं श्री सुनील जी ,बहुत बहुत आभार।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2016 at 9:52am
बहुत ही सार्थक प्रस्तुति , बधाई , आदरणीय सुश्री तनुजा उप्रेती जी , सादर।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 8:25am

आदरणीया तनुजा उप्रेती जी सादर, उत्तम अभिव्यक्तियाँ हैं आपकी, सच है समाज और सरकार की बेशर्मी ने अव्यवस्था को ही व्यवस्था बना दिया है. सादर.

Comment by shree suneel on July 18, 2016 at 2:58am
मैं क़ानून की क़ैदी हूँ...
मैं वर्जनाओं की क़ैदी हूँ...
मैं व्यवस्था की क़ैदी हूँ...
सोचने पर विवश करती है ये कविता. बहुत ख़ूब! इस सार्थक कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको आदरणीया तनूजा जी. सादर.
Comment by Tanuja Upreti on July 17, 2016 at 9:29am

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी

Comment by Samar kabeer on July 16, 2016 at 5:01pm
मोहतरमा तनुजा जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
14 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service