For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जेब में सहमा हुआ इतवार है (ग़ज़ल 'राज ')

२१२२ २१२२ २१२

मजहबों के बीच जो दीवार है

डालती उस नींव को सरकार है

हाथ में जिसके किताबें चाहिए

आज उसके हाथ में हथियार है

जिन्दगी इक बार मिलती है यहाँ

मर रहा इंसान सौ सौ बार है

ख्वाहिशें बच्चों की पूरी क्या करें

जेब में सहमा हुआ इतवार है

पढ़ नहीं सकता यहाँ इक हर्फ़ जो

बेचता सड़कों पे वो अखबार है

राम रहिमन बिक रहे बाजार में

फल रहा बस धर्म का व्यापार है

नारियाँ महफूज़ बोलो हैं कहाँ

आज सड़कों पर लुटे संसार है

गुम कहाँ जाने हुए वो कहकहे

हर कोई दिखता यहाँ गमख्वार है

बादलों की देख के दादा गिरी

आज सावन भी हुआ बेजार है

दुश्मनी केवल यहाँ इंसान में

जानवर को जानवर से प्यार है

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 1853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2016 at 11:13pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेशजी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 11, 2016 at 11:12pm
इस खूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेशजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 10:46pm

आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया आद०  श्री सुनील जी 

Comment by shree suneel on July 11, 2016 at 9:33pm
ख्वाहिशे बच्चों की पूरी क्या करें
जेब में सहमा हुआ इतवार है... सही बात!
अन्य अशआर भी काबिले तारीफ हैं आदरणीया. हार्दिक बधाई आपको. सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:26pm

आदरणीय राजेंद्र कुमार जी आपका तहे दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:26pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:15pm

प्रिय राहिला जी ,आपकी मुखर प्रतिक्रिया ने मेरा उत्साह दुगुना कर दिया आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:02pm

आद० समर  कबीर भाई जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया तहे दिल से आभार आपका |मूल रचना में ख्वाहिशें कर लिया है सादर आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 12:00pm

महेंद्र कुमार जी, उत्साह वर्धन के लिए तहे दिल से आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 11:59am

मनोज कुमार एहसास जी ,ग़ज़ल आपको पसंद आई आपका तहे दिल से आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service