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बह्र: २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

रदीफ़: चाहता हूँ , काफिया : ना (अना )

 

दिल के धड़कनों को कम करना चाहता हूँ

आज घटित घटना को विसरना चाहता हूँ |

जीवन में घटी है कुछ घटनाएँ ऐसी

सूखे घावों को नहीं कुतरना चाहता हूँ |

यादों की बारातें आती है तन्हाई में

तन्हाई दूर मैं करना चाहता हूँ |

नुकिले पत्थर हैं कदम कदम पर लेकिन

मखमल के विस्तर में नहीं मरना चाहता हूँ |

जिंदगी का सफ़र तो इतना भी आसान नहीं

सदा सफ़र में धीरज धरना चाहता हूँ |

रब के ‘प्रसाद’ से जिंदगी चलती जाए

उनको झुककर सजदा करना चाहता हूँ |

 

कालीपद ‘प्रसाद’

|

 

(मौलिक और अप्रकाशित) 

कालीपद ‘प्रसाद’

विषय के निष्नाद जनों निवेदन है कि इसमें स्वतंत्र एक मात्राओं का  योग सही है या नहीं बताएं, और भी जो गलतियां है उसे सुधारने का उपाय बातायें | अग्रिम आभार | 

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Comment by शिज्जु "शकूर" on June 22, 2016 at 9:41pm
आदरणीय मंडल सर, आ. गिरिराज भंडारी जी की बात से मैं सहमत हूँ, जब तक मूलभूत बातों को पढ़कर नहीं देखेंगे शंका बनी रहेगी फिर भी आपकी बात का जवाब दे देता हूँ भूलना को विसरना करने पर भी ईता दोष नहीं हटेगा; क्यों? ये ग़ज़ल की कक्षा में विस्तार से समझाया गया है।

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Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2016 at 6:13pm

आदरणीय हर बहर की कुछ शर्तें और किसी किसी बहर में कुछ छोटें पहले से निर्धारित है , इस मात्रिक बहर मे , 22 को 112 ,121 या211 क्या जा सकता है । अभी शायद आपने अध्ययन शुरु नही किया है । जब तक आप अध्ययन नहीं करेंगे ऐसी कठिनाइयाँ आती ही रहेंगी । आप एक दम से गज़ल कहना शुरू न करें , पहले कमसे कम एक बार सभी अध्यायों पढ़ ले । विस्तार से शिपल्प को समझाना बहुत कठिन है , हाँ एक आध गलती या कमी हो लिख के समझाया जा सकता है । मैने मतले मे इता दोष का भी इशारा किया है , क्या आप जानते हैं , इता दोष ? अगर नही तो सुधारेंगे कैसे । शिल्प का पूर्ण अध्ययन किये बिना गुज़ारा संभव नही है ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on June 22, 2016 at 5:23pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई जी !

सही कहा आपने अभी और प्रयत्नों की आवश्यकता है | लेकिन यहाँ आपने  

3- दिल/ के/   धड़/ कनों / को / कम / करना /  चाह/  ता हूँ 

   

     2     2      2    12     2     2       2 2      21     2  2     -- सीधे सीशे भी गिने तो मात्रा ,

यहां कनों (१२)             और                    चाह (२१)   में स्वतन्त्र (1) मात्र को मिला कर एक दीर्घा (२) गिना जा सकता है क्या ? यही मेरा प्रश्न है |

अगर 'भूलना' की जगह पर "विसरना ' लिखू  तो ईता दोष दूर होगा क्या ?

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2016 at 11:45am

आदरणीय काली पद भाई -- गज़ल  का प्रयास अच्छा हुआ है पर अभी बहुत और भी प्रयास की ज़रूरत है , '' गज़ल की बातें '' के सभी अध्यायों का पाठ कीजियेगा । लगभग सभी नियम एक साथ याद रहना ज़रूरी है , जब भी आप शे र कहते हैं ।

आपका मतला देखियेगा

दिल के धड़कनों को कम करना चाहता हूँ   ---

आज घटित घटना को भूलना चाहता हूँ |  

1- सबसे पहले , दिल की धड़कनों , कर लीजियेगा  , दिल के गलत है

2- भूलना और करना  काफिया लेने मे  इता दोष  आ गया है  -- काफिया के दोष पाठ मे देखियेगा

3- दिल/ के/   धड़/ कनों / को / कम / करना /  चाह/  ता हूँ
     2     2      2    12     2     2       2 2      21     2  2     -- सीधे सीशे भी गिने तो मात्रा ,

22   22   22   22  22  22  ( 6 फेलुन 24 मात्रा ) आ रही है ,  आप , बहर मे एक गुरु ( 2 ) और ले रहे हैं ।

वैसे भी छंद मे मात्रा गिनना और ग़ज़ल मे मात्रा गिनना दोनो मे थोड़ा सा फर्क है , यहाँ मिसरे को पढने के हिसाब से 2 मात्रा गिर के कहीं 1 भी गिन ली जाती है । आप मिसरों को किसी लय पढ के फैसाला करें , कि कहाँ  2 को आप 1 जैसा पढ रहे हैं ।

लय बहंग की स्थिति से बचने के लिये  , कलों के जमाव को छंदों मे आप करते हैं वही करें ।

यादों की बारातें आती है तन्हाई में  -- ये मिसरा आपका लय मे लगा मुझे -- जो आपके लिखे बह्र से मेल भी खारहा है , इस मिसरे को आधार बना कर आप और प्रयास कीजियेगा ।

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