For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जगना कहाँ ज़रूरी है?

22-22-22-22----------2212-1222

सोते रहिये, किसने टोका, जगना कहाँ ज़रूरी है?
ढ़ोते रहिये, जीवन बोझा, रखना कहाँ ज़रूरी है?

क्या मतलब है, और किसी से, अपने रहें सलीके से।
लिखते रहिये, इन पन्नों से, हटना कहाँ ज़रूरी है।।

घर से बाहर, भूले से भी, मेहनत ज़रा न करियेगा।
चिंतन करिये यूँ ही, कुछ भी, करना कहाँ ज़रूरी है।।

राहों में घायल को छोड़ें, व्याकुल पड़े ही रहने दें।
कलयुग में सिद्धार्थ का बुद्धा,बनना कहाँ ज़रूरी है।।

रावण का गुण गाते फिरिये, हरि की कथा निरर्थक है।
सदकर्मी के गुण की माला, जपना कहाँ ज़रूरी है?

पंकज तू भी, छत पर चढ़ कर, प्रभु को ज़रा बुलाया कर।
अन्तस् वाले, प्राणेश्वर का, उगना कहाँ ज़रूरी है?


मौलिक-अप्रकाशित

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 8:32pm

ये क्या संशोधन कर दिया पंकज भाई ? ओह ! .. :-((

अरे भाई साहब, मिसरेका वज़न आपने जो दिया था, उसमें से एक ग़ाम (गुरु यानी २) को कम कर देना था. आपने कुल सोलह ग़ाम लिए थे, जबकि आपके सभी मिसरों में पन्द्रह ग़ाम की ही ग़ुंजाइश बन रही थी. बस इसी कारण हमने आपको यह कह कर चौंका दिया कि आपके सभी मिसरे बेबहर हैं.

आप बस २२ २२ २२ २२ - २२ २२ २२ २  कर दें आपका काम दुरुस्त है.

शुभ-शुभ

 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 2, 2016 at 7:41pm
संशोधन कर रहा हूँ

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 7:24pm

//ये सही है कि बह्र में फंस गया हूँ। //

कहाँ फँस गये हैं, कुछ अता-पता चला ? या मेरा दिल खुश करने के लिए ये टिप्पणी हुई है ? 

:-)))

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on May 2, 2016 at 7:22pm
आदरणीय सौरभ सर, सादर प्रणाम।
ये सही है कि बह्र में फंस गया हूँ।

बुद्धा वाला मुद्दा, भी जायज सुझाव है।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 7:07pm

व्यंग्य की अंतर्धारा से पगी हुई यह ग़ज़ल आपकी सधी हुई ग़ज़लों में से है, पंकज भाई. इस प्रस्तुति में लोकप्रियता के सारे गुण है, बधाई हो !

लेकिन, बुद्ध को बुद्धा के रूप में प्रयोग करने से साग्रह बचना चाहिए. यह शब्दों की विकृति ही है जिसे हम अनायास तो कई बार सायास स्वीकार करते हैं. 

लेकिन जो बात आवश्यक रूप से कहना है, वह ये है, कि इस ग़ज़ल के सारे मिसरे बेबहर हैं. भाई, आप स्वयं तक्तीह करें और फिर देखें. आपने सोलह ग़ाम लिये हैं. हैं न ?

शुभेच्छाएँ 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 30, 2016 at 8:40pm
आदरणीय अग्रज श्री को प्रणाम(रवि भैया)। सुझाव सिरोधार्य है, ग़ज़ल पर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार।
Comment by Ravi Shukla on April 30, 2016 at 8:32pm
वाह वाह आदरणीय पंकज जी बहुत बढ़िया अशआर कहे है उतनी ही सुन्दर प्रवाह है ।शब्दों का सुन्दर प्रयोग किया है बधाई स्वीकार करें
चौथे और छठे शेर में हादसे और ईश्वर के प्रयोग से थिंदा सा प्रवाह बाधित हो रहा है । सादर
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 29, 2016 at 4:26pm
आदरणीय श्याम नारायण सर बहुत बहुत आभार और सादर अभिवादन
Comment by Shyam Narain Verma on April 29, 2016 at 1:14pm
इस सुंदर रचना के लिये बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 28, 2016 at 8:20pm
आदरणीय सुशील सरन सर, सादर प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service