For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भगौड़े (लघुकथा) राहिला

मरणोपरांत मृतक युवक के कर्मो का हिसाब किताब करने की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी। दूसरी दुनिया का दरोगा लेखा-जोखा देखने वाले से पूछताछ कर रहा था ।
"इस लड़के की उम्र विधाता ने कम लिखी थी क्या? "
"नहीं दरोगा साहब! उम्र तो खूब लिखी थी। लेकिन इसने खुदकुशी कर ली ।"
"क्यूं? "
"इसका इम्तेहान चल रहा था, पर ये बीच में ही भाग निकला। "
"क्यूं क्या इसने जीने की कला नहीं सीखी? "
"नहीं, ये सतयुग के प्राणी नहीं, कलयुग की खुदपरस्त पीढ़ी है।ना सब्र,ना मर्यादा, ना अनुशासन और ना अपनों की परवाह ।"
"खैर..,कितनी उम्र और बची थी इसकी? "
"पचास साल "
"पचास साल? खुदकुशी कैसे की इसने? "
"फाँसी लगाकर "
"तो ठीक है। अगले पचास साल इसे वैसे ही फाँसी पर लटकाते रहो जैसे इसने खुदकुशी की थी। "
"नहींsss.." युवक चीखा, फिर व्याकुल होकर बोला:
"आप नहीं जानते, मुझे खुदकुशी करते वक्त कितनी तकलीफ हुई थी। वही तकलीफ बार-बार पूरी उम्र तक? ये अन्याय है।"
"ये अन्याय नहीं, विधान है। अच्छा एक बात बतायो, जब कभी तुम घंटा दो घंटा देरी से घर पहुंचते थे तो तुम्हारे बूढ़े माँ बाप की क्या हालत होती थी?"
"जी, वो सब बहुत परेशान हो जाते थे।"
"और अब जबकि तुम हमेशा लिए उन्हें अकेला छोड़ आए, क्या ये सोचा कि अब उनका क्या हाल होगा?"
"इतनी भयानक सजा मत दीजिए।" दारोगा के पाँव में गिरते हुए युवक गिड़गिड़ाया।
उसकी पुकार को अनसुना कर संतरी को आवाज़ देते हुए दरोगा ने लगभग गुर्राते हुए आदेश दिया:
"ले जाओ इस भगौड़े को मेरी आँखों से दूर।"
.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1403

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on May 22, 2016 at 1:26pm
बहुत आभार आदरणीय परवेज साहब!आपने अपना कीमती वक्त रचना को दिया ।सादर
Comment by Rahila on May 22, 2016 at 1:25pm
बहुत शुक्रिया आदरणीया वंदना जी ।सादर
Comment by Parvez khan on May 21, 2016 at 3:59pm
सच मे अप्रत्यासित रचना लजबाब शीर्षक के साथ नई पीढी आजकल सिर्फ अपने बारे मे सोचती है जिन्होने जन्म दिया पाला पोसा उन्हे जिदगी भर का गम दे जाते
Comment by vandana on May 21, 2016 at 10:13am

बहुत अच्छा विषय और सार्थक प्रस्तुति आदरणीया राहिला जी 

Comment by Rahila on May 17, 2016 at 6:57pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय ललित सर जी! सादर नमन
Comment by Lalit Nageshwar Maharaj on May 16, 2016 at 3:59pm

बहुत ही शिक्षाप्रद प्रयास है.आज के दौर में बिलकुल ठीक बैठता है.

Comment by Rahila on May 15, 2016 at 10:35am
Thank u Ram Ashery sir ji!
Comment by Rahila on May 15, 2016 at 10:34am
बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील सर जी! आपने इतने खूबसूरत लब्ज़ों में तारीफ़ की, कि मेरा हौसला दुगना हो गया । बहुत आभार ।सादर नमन
Comment by Ram Ashery on May 13, 2016 at 9:30am

very nice way you have expressed your feelings congratulation

Comment by Sushil Sarna on May 10, 2016 at 1:20pm

ले जाओ इस भगौड़े को मेरी आँखों से दूर।"
.वाह आदरणीया राहिला जी वाह ... आपने जिस विषय का चुनाव किया का वो वास्तव में वर्तमान का आईना है .... वर्तमान में अपनी जिम्मेदारियों,विफलताओं से डर के कारण स्वयं को समाप्त करने धारणा को आपने बडी ही मार्मिकता से चित्रित किया है। इस सन्देश देती लघु कथा की प्रस्तुति पर आपको हार्दिक हार्दिक बधाई। पता नहीं कैसे ये नज़र से चूक गयी। आपकी सोच , कलम को सलाम।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service