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गड़ाधन (लघुकथा )राहिला

"गुरूदेव महाराज!बड़े ही सही समय पर आगमन हुआ आपका।अब आप ही समझाओ इनको।"कहते-कहते रमा की आँखों से आँसू छलक पड़े।
"चिंता मत करो बेटी! मुझे जैसे ही रामदयाल के बीमार होने की सूचना मिली,मैं तुरंत ही आ गया।"
परिवार के धर्म गुरू ने रमा को तसल्ली दी।रमा उन्हें पति के कमरे में ले गई ।जहां बीमारी से कमजोर रामदयाल अचानक गुरूदेव को देखकर भावुक हो गया। रूंधे हुये गले से अभिनंदन कर,बड़ी मुश्किल से उठ कर बैठा ।
"ये क्या हाल बना रखा है रामू?"
"अब आप से क्या छुपा महाराज!बड़े भाईयों ने गद्दारी की,गांव की पूरी जायदाद में से ना पक्का मकान दिया,ना जमीन।लेकिन जब एक कच्ची अटारी दी तो मेैंने तसल्ली कर ली,क्योंकि अम्मां मरते वक्त बता कर गईं कि उसमें धन गड़ा है।लेकिन इस बात की ना जाने कैसे, उस नामुराद भतीजे को भनक लग गई और उसने रातोंरात पूरी अटारी खोद मारी।अब मेरे हाथ क्या आया?कहां तक सब्र करू।"
"रामदयाल!ये तो मैंने भी कहा था तेरे भाग्य में गड़ाधन है।और एक बात गौर से सुन,भाग्य कोई नहीं छीन सकता।मेरी गणना अनुसार तुझे धन की प्राप्ति लगभग तीन महीने पहले ही हो चुकी।जरा सोच कर बता।"गुरूदेव की बात सुनकर वो सकते में आ गया।और सोचने लगा।
"तीन महीने पहले तो प्रभु!अपनी नई जमीन पर एक नया व्यवसाय शुरू किया है जो बड़े मुनाफे का साबित हुआ।"
"किस चीज का? "
"बोरिंग द्वारा जल प्रदाय का।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Rahila on April 3, 2016 at 11:50am
आदरणीय सुनील जी! पहले तो इस बात का शुक्रिया कि आप ने रचना को वक्त दिया और मेरी हौसला अफज़ाई की । और दूसरी बार इस बात का शुक्रिया कि मेरी टंकन त्रुटि को नोट कर बताया लेकिन कहीं ऐसा ना हो कि त्रुटि सुधारु और रचना गायब हो जाय क्योंकि एक बार ऐसा हो गया था । आपको पुनः आभार रचना की प्रशंसा करने के लिये ।सादर
Comment by Rahila on April 3, 2016 at 11:42am
बहुत शुक्रिया आदरणीय खान साहब! आपकी हौसला अफज़ाई भरी टिप्पणी के लिये तहेदिल से आभार । सादर
Comment by Rahila on April 3, 2016 at 11:40am
बहुत आभार आदरणीय सुशील सर जी! रचना पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिये बहुत शुक्रिया ।सादर नमन
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 9:40pm

मोहतरमा राहिला साहिबा ,सन्देश देती बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Sushil Sarna on April 2, 2016 at 9:13pm

आदरणीय राहिला जी सत्यता को जीवंत करती इस सुंदर और कसी हुई लघुकथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

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