For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : आस्तीन का साँप (गणेश जी बागी)

“मिस्टर सिंह, आप और आपकी टीम विगत छः माह से उस खूंखार आतंकवादी को पकड़ने में लगी हुई है, किन्तु अभी तक आपकी प्रगति शून्य है.”

“सर हम लोग पूरी निष्ठा और ईमानदारी से इस अभियान में लगें हैं, मुझे उम्मीद है कि हम शीघ्र सफल होंगे.”

“आई. बी. वालों ने भी सूचना दी थी कि वो पड़ोसी मित्र देश में छुपा हुआ है, फिर प्रॉब्लम क्या है ?”

“सर, यदि वो पड़ोसी देश में छुपा होता तो हम लोग उसे जिन्दा या मुर्दा दो दिन में ही पकड़ लेते,
लेकिन प्रॉब्लम तो यह है कि ....”

“क्या प्रॉब्लम है मिस्टर सिंह ?”

“सर....... वो आतंकवादी अपने ही देश में..........”

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>अतुकांत कविता : प्रतिनिधि

Views: 818

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 20, 2016 at 4:31pm
अव्यवस्था, असहयोग, विश्वासघात, भीतरघात, द्रोह, मोह ...सभी पर तीखा कटाक्ष करती बढ़िया प्रस्तुति के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय गणेश जी बागी जी।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 7, 2016 at 9:33pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय राहुल दांगी जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 7, 2016 at 9:32pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी, लघुकथा आपको पसंद आयी, लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 7, 2016 at 9:31pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, लघुकथा पर उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार. 

Comment by Rahul Dangi Panchal on March 7, 2016 at 7:12pm
वाह वाह वाह सच कहा
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 7, 2016 at 4:17pm
अपने ही देश में...... बेहद सुंदरता से आपने इस रचना को पञ्च से नवाज़ा है।यह विडम्बना ही है कि भले आतंकवाद की जड़ें कहीं भी हों पर उसका पोषण तो कुछ गद्दारों द्वारा उन्हीं के देश में किया जाता है।सादर नमन

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 7, 2016 at 7:30am

आदरणीया कांता जी, आपकी प्रतिक्रिया लघुकथा होने को सार्थक कर गयी, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 7, 2016 at 7:18am

सराहना युक्त प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 7, 2016 at 7:17am

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, आपकी प्रतिक्रिया पा यह लघुकथा समृद्ध हुई, बहुत बहुत आभार,

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 6, 2016 at 8:57pm

गजब गणेश जी बागी  साहिब , वाह, हक़ीक़त बयान करदी है आपने  ,.... मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service