For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 1222 212
बरसों बाद भी देखो, इक जगह पड़े हो तुम
संग की तरह बेहिस, सख़्त हो गये हो तुम

जन्म तो लिया था पर, गाह जी नहीं पाये
अपनी लाश का कब से, बोझ ढो रहे हो तुम

ऐसे छटपटाओ मत, और डूब जाओगे
दलदली जगह है ये जिस जगह खड़े हो तुम

बेकराँ समंदर है, और लहरें तूफ़ानी
थोड़ी देर ठहरो तो, ज़िद पे क्यों अड़े हो तुम

हर बयान पर मेरा, इख़्तिलाफ़ करते हो
दिल में अपने क्या-क्या भ्रम, पाल के रखे हो तुम

शहर की हवाओं के, हर मिजाज़ को समझो
जाने कब बदल जाये, शहर में नये हो तुम

बेसबब ख़यालों की, गर्दिशों से निकलो अब
अजनबी सवालों से, आजकल घिरे हो तुम

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 407

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 7:25pm

वाह वाह बहुत सुन्दर ग़ज़ल 

शहर की हवाओं के, हर मिजाज़ को समझो
जाने कब बदल जाये, शहर में नये हो तुम-----वाह्ह्ह 

दिल से दाद स्वीकारें ऊपर अरकान सही कर लें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2016 at 9:58pm

आदरणीय शिज्जु भाई , बेहतरीन गज़ल के लिये दिली बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on March 1, 2016 at 5:54pm
जनाब शिज्जु शकूर जी आदाब,बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
पांचवें शैर के ऊला मिसरे में"मेरा"को "मेरे"कर लें ।
Comment by Ravi Shukla on March 1, 2016 at 5:42pm
आदरणीय शिज्‍जू जी आदाब बहुत ही बढि़या ग़ज़ल कही है आपने शेर दर शेर दिली बधाई कुबूल करे
शहर की हवाओं के, हर मिजाज़ को समझो
जाने कब बदल जाये, शहर में नये हो तुम वाह वाह बहुत खूब । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
21 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service