For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चूक( लघुकथा )राहिला

दरबार खत्म हुये काफ़ी वक्त हो चुका था। लेकिन बादशाह सलामत अभी तक ज़ेहनीतौर पर जैसे वहां से लौटे ही नहीं थे।
"क्या बात है जहांपनाह!आप इतने खामोश?लगता है आज दरबार में कोई खास बात हो गई।"बादशाह को काफ़ी देर से गुमसुम देख बेग़म बोली।
"हम्म..सही कह रही है आप!अभी तक बहुत मुकदमे देखे बेगम!लेकिन आज के जैसा नहीं देखा।
"अच्छा!!ऐसा क्या खास था इस मुकदमे में।"हैरानी से बेगम ने पूछा ।
"एक बूढ़े लाचार बाप ने अपने निहायती बदतमीज,निकम्मे और अय्याश बेटे के खिलाफ मुकदमा दायर ।किया था । उसका कहना था कि जिस तरह एक बाप बेटे के बीच ऐहतराम,खिदमत और खुलूस का रिश्ता होता है ।उसके बेटे ने अपनी हरकतों से इस रिश्ते को ही शर्मशार कर दिया । नौबत बाप के साथ हाथापाई तक आ गई,तब कहीं जाकर मजबूरन उसे मेरी खिदमत में हाजिर होना पड़ा।"
"और आपकी तहकीक़ात क्या कहती है?"
"तहकीकात में भी सारे गवाह सबूत भी लड़के के खिलाफ मिले ।"कहते-कहते बादशाह और गंभीर हो गये।"
"तो फिर क्या सजा मुकर्रर की आपने बेटे की?"
"बेटा मुकदमा जीत गया।"बादशाह ने लंबी सांस छोड़ते हुये कहा।
"क्या!!कैसे?"बेग़म की हैरानी की हद ना रही।
"हैरान ना हों बेग़म...!औलाद और वालिदैन के बीच फर्जों की अदायगी पहले वालिदैन की होती है फिर औलाद की।लेकिन यहां बाप से चूक हो गयी।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1142

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 9, 2016 at 1:30am

शानदार पंचलाइन .... अपने कथ्य को संप्रेषित करने में सफल लघुकथा जिसका शिल्प और भाषा दोनों चुस्त दुरुस्त. बहुत बहुत बधाई 

मुकदमा दायर किया था । 

Comment by pratibha pande on February 8, 2016 at 10:00pm

सुन्दर सन्देश देती कथा ,  और जिस तरह से कही गई, उसने प्रभाव दुगुना कर दिया , हार्दिक बधाई प्रिय राहिला जी 

Comment by Nita Kasar on February 8, 2016 at 3:16pm
पिता ने जैसा बोया बेटे ने वैसा ही काटा।बच्चा घर से ही सीखता है।पिता के दिये संस्कार ही तो बेटे ने लौटा दिये तो चूक यही हो गई।संदेशप्रेरक कथा के लिये बधाई आद०राहिला जी ।
Comment by Sushil Sarna on February 8, 2016 at 3:10pm

 आदरणीया राहिला जी  आपने इस लघु कथा के माध्यम से एक  सामाजिक मुद्दा उठाया है। एक संदेशप्रद प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by Rahila on February 8, 2016 at 2:15pm
आदरणीय सुनील जी! इतनी खूबसूरत तारीफ़ के लिये बहुत शुक्रिया । आपको रचना पसंद आई मेरे लिये बेहद खुशी की बात है । जहां तक सीखने की बात है तो मैं खुद आपकी लेखनी से प्रभावित हूं । सादर ।
Comment by Rahila on February 8, 2016 at 12:47pm
बहुत शुक्रिया आदरणीया अर्चना दी!आपने रचना के मर्म को खूब समझा । सादर आभार ।
Comment by Archana Tripathi on February 8, 2016 at 12:04pm
बहुत ही सही राहिला जी ,पूत कपूत हो गया तो यह पिता के कर्मों का परिणाम होता हैं लेकिन सपूत होते ही उसके मेहनत का नतीजा हो जाता हैं।बहुत ही उम्दा मुद्दा उठाया कथा के माध्यम से ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service