For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी पाँच हाईकू रचनाएं ।

टूटी आशाएं,

बिखरा परिवार,

मैं मिट गया ।। 1 ।।

 

तुम्हारी खुशी,

जीं-तोड़ मेहनत,

फिर भी विफल ।। 2 ।।

 

बहती पवन,

विकराल रूप,

सब कुछ बंजर ।। 3 ।।

 

रब नाऱाज,

लहरो का कहर,

बहते आँसू ।। 4 ।।

 

धुँधली रेखा,

तुम्हारा आगमन,

सूर्य उदय ।। 5 ।।

  

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DIGVIJAY on December 6, 2015 at 9:20am

बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण जी एवं गिरिराज जी ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2015 at 8:16am

बहुत खूब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2015 at 8:34pm

आदरणीय दिग्विजय भाई , आपके सभी हाइकु बहुत सुन्दर लगे , आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by DIGVIJAY on December 5, 2015 at 12:45pm

उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद । आदरणीय उस्मानी साहब

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 5, 2015 at 10:28am
टिप्पणियों सहित हाइकू रचनाएँ बहुत बढ़िया । अगली रचनाओं की प्रतीक्षा के साथ बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय दिग्विजय जी।
Comment by DIGVIJAY on December 4, 2015 at 9:41pm

जीं तो कर रहा हैं कि दोबारा से प्रकाशन हेतु निवेदन करू परन्तु संपादक महोदय को अपनी गलती हेतु क्यों परेशान किया जाए । दोबार से अति उत्साह में जल्दीबाजी न करके ध्यान से पोस्ट करूंगा....

आदरणीय दूसरी पंक्ति में भी कि जगह क्यों लगाने से सही अर्थ के साथ-साथ सहीं शिल्प भी बैठ रहीं है । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील जी ।

Comment by Sushil Sarna on December 4, 2015 at 6:35pm

आदरणीय दिग्विजय जी पाँचों हायकू सुंदर बन पड़े हैं ,हार्दिक बधाई।  आदरणीय दुसरे हायकू की तीसरी पंक्ति का गठन कृपया पुनः देख लें ।  

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 6:22pm

अब ये सभी उम्दा बन पड़े है आदरणीय दिग्विजय जी।  बधाई !

Comment by DIGVIJAY on December 4, 2015 at 6:06pm

शायद तीसरे न० के हाइकू के लिए मुझे.....

बहती हवा,

विकराल मंजर,

सब बंजर ।।................और एक सुधार जो हाइकू माँग रहा हैं वो पाँचवे न० का हैं जहाँ सूर्य कि जगह भाग्य उचित लग रहा हैं । सभी साहित्यकारो से माँफी माँगता हूँ अति उत्साह में जल्दी पोस्ट कर बैठा । बाकी गुणीजनो का सुझाव सर आँखो पर । सादर

Comment by DIGVIJAY on December 4, 2015 at 5:58pm

ओह....इस ओर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया ये सब जल्दबाजी का नतीजा हैं माफी चाहता....जल्द ही इसका व्यवस्थित रूप लेकर उपस्थित होता हूँ । प्रशंसा हेतु धन्यवाद आदरणीया कान्ता दीदी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service