For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"फूल चोर"

मंदिर में वर्मा जी की थाली में अपने बागीचे के विदेशी फूल देखकर वृंदा के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। वे पूजा की थाली हाथ में पकडे मूर्ति के सामने खड़े हुए थे, जिसे देखकर वृंदा के चेहरे पर अविश्वास और क्रोध के मिश्रित भाव उभर आए।

दरअसल बचपन से ही वृंदा को जूनून की हद तक बागवानी का बेहद शौक था। तरह तरह से रंग सजावटी पौधों, हरी भरी घास, रंग बिरंगे फूलों तथा विभिन्न प्रकार के बेल बूटों से भरा बगीचा पूरी कॉलोनी में चर्चा का विषय बन चुका था। जो भी देखता, बगीचे और वृंदा की मुक्तकंठ से प्रशंसा करता। उनके पडोसी वर्मा जी का बग़ीचा भी कुछ कम नहीं था, किन्तु लोगों द्वारा वृंदा की इतनी प्रशंसा करना उन्हें फूटी आँख नहीं सुहाता था। पिछले कुछ दिनों से बग़ीचे में खिले हुए दुर्लभ फूल ग़ायब होने शुरू हो गए जिनके बीज विदेश से मंगवाए गए थे। आज वृंदा जब मंदिर जाने के लिए निकली तो अपने फूल विहीन उन पौधों को देख तड़प कर रह गई।

मंदिर में वृंदा को देखते ही वर्मा जी चौंके, लेकिन स्थिति को भांपते हुए वह तेज़ी से मूर्ति की तरफ बढे। वृंदा से नज़रें चुरा कर उन्होंने बहुत हड़बड़ी में फूल अर्पित किये, जल चढ़ाया। किन्तु जैसे ही भगवान शिव की तरफ देखा तो वह कांप उठे। आज भगवान शिव के चेहरे पर निर्मल मुस्कराहट के स्थान पर क्रोध था, और उनके माथे पर तीसरी आँख उभर रही थी। शिव का यह रौद्र रूप देखकर वर्मा जी के सूखे हलक से केवल यही निकल पाया::
"सॉरी वृंदा !"

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1421

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on November 24, 2015 at 6:50pm
आपका हार्दिक आभार आद०आशुतोष मिश्रा जी ये हर फूलप्रेमी मन की व्यथा है ये लोग हमारी मेहनत पर पानी फेर देते है बस एक बार दिखने पर इनसे थोड़ी सख़्ती से बोलना पड़ता है ।पर वे अपनी हरकत से बाज़ आयेंगे मुश्किल है ।
Comment by Nita Kasar on November 24, 2015 at 6:44pm
उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आपका आद०महेश त्रिपाठी जी अब इनको कौन समझायें भगवान चोरी के फूल से प्रसन्न नही होते ।
Comment by Nita Kasar on November 24, 2015 at 6:40pm
आपका हार्दिक आभार आद०राजेश कुमारी जी। ये हर फूलप्रेमी मन की व्यथा है हम बच्चे की तरह पालन पोषण करते है कोई आयेऔर चोरी केफूलों से भगवान को ख़ुश करना चाहे तो वे भला कैसे ख़ुश होंगे ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 24, 2015 at 2:37pm

आदरणीया आपकी रचना पर आपको हार्दिक बधाई ..मैंने भी एक बगीचा लगाया है लेकिन फूलों को लोग सबेरे सबेरे ही तोड़ ले जाते हैं मुझे बहुत दुःख होता है मगर मैं कुछ कर नहीं पाता हूँ ..आपकी रचना को पढ़कर मुझे लगा मेरी पीड़ा को शब्द मिल गए हों जैसे ,,सादर प्रणाम के साथ

Comment by maharshi tripathi on November 19, 2015 at 5:15pm

आ.  Nita Kasar जी ,सुन्दर प्रस्तुति है ,मुझे लगता है -

आज भगवान शिव के चेहरे पर निर्मल मुस्कराहट के स्थान पर क्रोध था, और उनके माथे पर तीसरी आँख उभर रही थी।

आपकी  लेखनी कमल की है ,गलती का एहसास ,उसे मूर्ति में ही दिख गया ,,,बहुत बहुत बधाई आ.|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 5, 2015 at 8:25pm

बहुत सुन्दर लघु कथा मेरे मन के भाव लिख दिए आपने ..मेरे बगीचे से भी कोई फूल चुराए उसका गुस्सा तो दूर फूल मांगता भी है तो भी अच्छा नहीं लगता मैं खुद कभी कभी पूजा के लिए एक दो फूल ही तोडती हूँ एक बार एक शेर लिखा था ----सोचकर उगाये थे फूल घर सजायेंगे कभी ,जब उगे तो डाली से तोडना गवारा न हुआ | आपको इस शानदार लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें नीता कसर जी |

Comment by Nita Kasar on October 29, 2015 at 9:11pm
यही स्थिति मेरी भी है,इनकी कितनी देखभाल हम करते है,ये हमें दुखी करते है कथा आपको पसंद आई हार्दिक आभार आपका आद०माला झा जी ।
Comment by Mala Jha on October 29, 2015 at 8:29am
वाह!!"फूलचोरों" के ऊपर आपने बहुत ही बेहतरीन कथा लिखी है नीता जी।ऐसे फूलचोर हर गली मोहल्लों में दिख जाते हैं।मेरी सासुमां तो फूलचोरों से परेशान होकर चार बजे सुबह उठकर ही अपने बगीचे की देखभाल करने लगती है।हार्दिक बधाई नीता जी इतनी सुंदर कथा के लिए।
Comment by Nita Kasar on October 23, 2015 at 12:23pm
दिल की गहराइयों से हार्दिक आभार आपका आद०कांता राय जी ।कथा पर राय व्यक्त करने हेतु ।
Comment by Nita Kasar on October 23, 2015 at 12:21pm
आपका हार्दिक आभार कथा पसंद करने हेतु आद०ओमप्रकाश क्षत्रिय जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"अतिउत्तम....अतिउत्तम....जीवन सत्य की महिमा बखान करते हुए सुन्दर सरस् दोहों के लिए बधाई आदरणीय...."
10 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service