For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वेटर (लघुकथा)

जनवरी की हड्डी कंपा देने वाली ठंड..मैं ऊपर से नीचे तक गर्म कपड़ों के बावजूद कांप रही थी ।कक्षा में पहुंच कर एक नजर, मेरे सम्मान में खड़े सभी बच्चों पर डाली और बैठने का इशारा किया । तभी मेरी नजर उन बच्चों पर पड़ी जिनके बदन पर कपड़ों के नाम पर बस कपड़ों का नाम था।मैंने उन सभी बच्चों को खड़ा कर दिया ।
"क्यों!स्वेटर कहां है तुम्हारे?स्कूल से स्वेटर के लिये पैसा मिला ना तुम लोगों को फिर..?"लहजा सख्त था । बच्चे सहम गये ।फिर सामने जो कहानी आई बेशक अलग-अलग थी लेकिन नतीजा एक,कि उनके अभिभावक सारा पैसा अपने निजी स्वार्थ पर खर्च कर चुके है ।और वो मासूम डांट के डर से सफाई दे रहे थे-"दीदी!गेहूं की फसल पर स्वेटर आ जायेगा"
"कब"मैंने हैरानी से पूछा ।
"दो महीना बाद "।

.
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1454

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on October 29, 2015 at 8:35am
बहुत शुक्रिया आदरणीय सुनील जी! आपको मेरी रचना पसंद आई । बहुत आभार ।
Comment by Rahila on October 29, 2015 at 8:28am
बहुत शुक्रिया आदरणीय सुनील जी! आपको मेरी रचना पसंद आई । बहुत आभार ।
Comment by Rahila on October 29, 2015 at 8:25am
बहुत शुक्रिया आदरणीय सुनील जी! आपको मेरी रचना पसंद आई । बहुत आभार ।
Comment by Rahila on October 22, 2015 at 10:27pm
ओह. .वाकई मेरे लिये ये बहुत अहम पल है । लेकिन इस सम्मान का सारा श्रेय आपको जाता है आद.कांता दी!आपके मंच से मैंने शुरूआत की और लेखन क्षेत्र में मेरी प्रथम गुरू मां आप ही है । अपनी शिष्या का प्रथम सम्मान आप ,श्रेय रूप में स्वीकार करें । और अपने आशीर्वाद से मुझे धन्य करें।
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 10:14pm
मै जानती थी ये बात आदरणीया राहिला जी । आपकी रचनाएँ अब करीब एक महीने तक सामने के पोस्टर पर रहेंगी । यह सम्मान परिपक्व और श्रेष्ठ रचना को ही प्राप्त होता है । आप एक बार और बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Rahila on October 22, 2015 at 10:08pm
आद. कांता दी!बधाई तो तब स्वीकार करूं जब फीचर पोस्ट का मतलब जान पाऊं ।मुझे तो आपकी बधाई से सिर्फ इतना आभास हुआ है कि कुछ खुशी की बात है मेरे लिये ।
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 9:54pm
आदरणीया राहिला जी , आपकी कथा को फीचर पोस्ट का सम्मान मिला है । यह बहुत बडी बात होती है लेखक के लिये । इस गौरव पल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको । सादर
Comment by Rahila on October 22, 2015 at 10:38am
बहुत आभार आद.कांता दी !बहुत शुक्रिया,आपने मेरी रचना को पसंद किया ।
Comment by kanta roy on October 22, 2015 at 6:39am
बेहद मार्मिक लघुकथा हुई है यह आदरणीया राहिला जी । सर्दी , स्वेटर और इंतज़ार गेंहू के कटने का , मन को जैसे विचलित ही कर गई ।बहुत बहुत बधाई आपको इस सार्थक रचना के लिये ।
Comment by Rahila on October 21, 2015 at 8:40pm
बहुत आभार आद.ओमप्रकाश जी!बहुत शुक्रिया,आपने मेरी रचना को पसंद किया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service