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कैसे हम आजाद हैं (दोहा-गीत)

 कैसे हम आजाद हैं, है विचार परतंत्र ।
अपने पन की भावना, दिखती नहीं स्वतंत्र ।।

भारतीयता कैद में, होकर भी आजाद ।
अपनों को हम भूल कर, करते उनको याद ।
छुटे नही हैं छूटते, उनके सारेे मंत्र । कैसे हम आजाद हैं....

मुगल आक्रांत को सहे, सहे आंग्ल उपहास ।
भूले निज पहचान हम, पढ़ इनके इतिहास ।।
चाटुकार इनके हुये, रचे हुये हैं तंत्र । कैसे हम आजाद हैं...

निज संस्कृति संस्कार को, कहते जो बेकार ।
बने हुये हैं दास वो, निज आजादी हार ।।
जाने कैसे लोग वो, कहते किसे सुतंत्र । कैसे हम आजाद हैं...

आजादी के नाम पर, जो जन हुये कुर्बान ।
उनसे पूछे कौन अब, उनके ओ अरमान ।।
लड़े लड़ाई क्यों भला, ले आजादी मंत्र । कैसे हम आजाद हैं.....

वीर सपूतों से कहे,शहीद वीर सपूत ।
दे दो सुराज तुम हमें, अपनेपन अभिभूत ।।
देश धर्म पर नाज हो,  गढ़ दो ऐसे तंत्र । कैसे हम आजाद हैं.....

------------------------

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 10:39am

आदरणीय रमेश भाई , राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत आपके दोहा गीत के लिये बधाइयाँ । मात्रा कहीं कहीं कम जियादा लगी देखियेगा एक बार ।

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 1, 2015 at 10:45am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर, लडीवालाजी,कबीरजी एवं आदरणीया पाण्डेजी, आप सभी का हार्दिक अभिनंदन, आदरणीय लडीवालाजी आपके सुझाव का स्वागत है । आप सभी के स्नेह के लिये आभार

Comment by pratibha pande on September 1, 2015 at 9:49am
देश धर्म पर नाज़ हो ,गढ़ दो ऐसे तंत्र 'बहुत सार्थक रचना आई है आपकी कलम से आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी हार्दिक बधाई प्रेषित करती हूँ आपको
Comment by Samar kabeer on August 31, 2015 at 11:43pm
जनाब रमेश कुमार जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2015 at 4:38pm

सुंदर गीत  रचना हुई है श्री रमेश कुमार चौहान जी | कही कही लय भंग है, जैसे  -

आजादी के नाम पर, जो जन हुये कुर्बान  - आजादी के नाम पर, हुए बहुत कुर्बान |
उनसे पूछे कौन अब, उनके ओ अरमान ।।  - उनसे पूछे कौन अब, उनके क्या अरमान ||

भावपूर्ण रचना  के  लिए हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 31, 2015 at 2:20pm

आदरणीय  रमेश कुमार चौहान जी बहुत सुन्दर दोहा गीत हुआ है. हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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