For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुलाबी जिल्द वाली डायरी [कविता ]

वो थी एक डायरी

गुलाबी जिल्द वाली

अन्दर के चिकने पन्ने

खुशनुमा छुअन लिए

मुकम्मल थी एकदम

कुछ खूबसूरत सा

लिखने के लिए I

 

सिल्क की साड़ियों की

तहों के बीच,

अल्मारी में सहेजा था उसे   

उन मेहंदी लगे हाथों ने,  

सेंट की खुशबू

और ज़री की चुभन

 को   करती रही थी वो  जज़्ब,

हर दिन रहता था      

बाहर आने का  इंतज़ार 

अपने चिकने  पन्नों पर

प्यारा सा कुछ

लिखे जाने का इंतज़ार I

 

 

अल्मारी  के बाहर

मौसम बदलते रहे

 साड़ियो की तहों में दबी        

डरी सहमी 

वो सुनती रही,

 चिल्लाना रोना बिलखना

और अल्मारी के अन्दर

साड़ियों की रंगत

भी फीकी पड़ती रही,   

और वो गुलाबी जिल्द वाली डायरी

जिसके चिकने पन्नों

में थी खुशनुमा छुअन

 मेहंदी लगे हाथों की

राह तकती रही I

 

कितने मौसम बदले यूं ही  

आज  उसे याद नहीं,

साड़ियों की क़ैद

जिल्द की गुलाबी रंगत

 पन्नों की खुशनुमा छुअन

सब बिसरी बातें हैं अब,

खुरदुरे हाथ लिखते हैं उसमे  

खर्चे का जमा घटा

न कोई ख्वाइश न शिकायत

न  कोई  इंतज़ार बचा

अब वो है  एक  

बिना जिल्द वाली

फटेहाल पुरानी  डायरी

 

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 1223

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on August 25, 2015 at 8:38am
आ० मिथिलेश जी मेरे प्रयास पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 22, 2015 at 5:16pm

आदरणीया प्रतिभा जी, गुलाबी जिल्द वाली डायरी के बिना जिल्द वाली डायरी बनने की दास्तां को मुकम्मल लफ्ज़ मिले है. एक नारी के समर्पण की मार्मिक कथा को बिम्ब के माध्यम से जिस सधे ढंग से प्रस्तुत किया है वो अद्भुत है. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:21pm

गुलाबी डायरी पूरा जीवन दर्शन बयां करती है. आपको बधाई .

Comment by pratibha pande on August 21, 2015 at 8:30pm

आ० हर्ष जी दाद के लिए तहे दिल से शुक्रिया साथ में ढेरों बधाई भी ,माह का सक्रीय सदस्य चुने  जाने के लिए

Comment by Harash Mahajan on August 21, 2015 at 8:03pm
आ0 प्रतिभा पाण्डेय जी बहुत ही सूंदर कविता । दाद !!
Comment by pratibha pande on August 21, 2015 at 10:07am

आ० कांता जी, पूरा ही पोस्ट मोरटम कर दिया आपने बेचारी छोटी सी डायरी का.  क्या ,टूटने के डर से ख़्वाब बुने ही न जाएँ ? ,   आपकी अपनेपन से पगी टिपण्णी के लिए ह्रदय से  आभार  

Comment by kanta roy on August 21, 2015 at 8:50am
सपनों की वो गुलाबी डायरी ... जिसके पन्ने रेशम से थे जिसकी चमक निराली थी । राह तकना उसका मेहंदी भरी हाथों से कुछ गुलाबी से दिन रात की बातों को लिखे जाने का । वो भी मासूम था आपकी ही तरह । जीवन के कटु सत्य को भूलकर एक ख्वाब देख लिये थे उसने भी । ख्वाब का गुलाबी और मुलायम होना ख्वाबों तक ही तो सीमित होते है ,इसलिए कहते है कि देर तक ना सोया करो ,देर तक सोने में ख्वाब पलने लगते है । ख्वाब का पलकर फिर टूट जाना उस खुरदरे हाथों से और गुलाबी जिल्द का रेशमी एहसास घुल जाना जीवन की सख्त लम्हों में .... सच में ये अच्छा नहीं होता है आदरणीया प्रतिभा जी । वो गुलाबी डायरी का पन्ना कहीं मेरी ही ख्वाबों वाली बात तो नहीं थी जो आपको भी अपनी सी लगी हो । तेरी मेरी एक कहानी है ये सब सपनों की कहानी । बधाई अापको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service