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अख़बारों में (सुझाव के निमित्त प्रस्तुत)

बिक जाता है चन्द रूपये की खातिर अख़बारों में।
बहुत तलाशा मिला नहीं पर सच आख़िर अख़बारों में।।

बेंच रहे हैं ज़हर मिलाकर भोजन में बाज़ारों में।
विज्ञापन की बाढ़ आ गयी पैसे से अख़बारों में।।

पेड़ बचाओ करो सफाई ऐसे कैसे संभव है।
भौतिकता का नशा बेंचते रोज़ रोज़ अख़बारों में।।

चोरी और अपराध रुकेगा किस तरहा से कहिये ना।
महंगी वाली कार-मोबाइल दिखते जब अख़बारों में।।

लोभ-मोह का त्याग सिखाते गुरुकुल सारे गायब हैं।
मैकाले की नीति बाँचते विद्यालय अखबारों में।।

पौधों में तुम खाद डालते स्वार्थ-संग्रहण वाली जब।
फिर काहें तुम ढूँढ़ रहे हो आज "राम" अख़बारों में।।

जब पैदा हैं घर घर रावण राम राज्य आएगा कैसे ?
सीता हरण की ख़बर पढ़ो बस रोज़ रोज़ अख़बारों में।।

कंश वंश का मन्त्र जापता रखता कोख कोख पर पहरा।
अष्टभुजा का प्राण चीखता शब्द बना अख़बारों में।।

पानी साहेब ढूँढ़ रहा हूँ मनु पुत्रों की आँखों में।
कुम्हलानें लग गया है पंकज लिख देना अखबारों में।।

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 3:14am

प्रदत्त सुझावों पर अमल करें .. शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 4:08pm

आदरणीय पंकज जी, प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई . आदरणीय रवि जी का सुझाव बहुत बढ़िया है. सादर 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 31, 2015 at 3:05pm
आदरणीय रवि शुक्ल जी सादर आभार; सुझाव पर ध्यान दूँगा
Comment by Ravi Shukla on July 31, 2015 at 2:50pm

आदरणीय पंकज जी

रचना में भाव अापने व्‍यक्‍त किये । प्रयास के लिये साधुवाद

इसकी चमक और भी बढ़ सकती है । हमारा सुझााव है आरणीय तिलक राज जी कपूर एवं आदरणीय वीनस केसरी जी की ग़ज़ल की कक्षा एवं ग़ज़ल की बाते में दिये गये सभी लेखों को क्रम से पढे बहुत ही विस्‍तुत एवं सुगम तरीके से जानकारी दी गई है ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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