For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- ईद उससे कोई मिला ही नहीं

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन /फ़ेलान


आके इसमें कोई रुका ही नहीं
दश्त-ए-दिल में कोई सदा ही नहीं

आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं

जिसमें ख़तरा हो हार जाने का
खेल मैं ऐसे खेलता ही नहीं

ये तो मैदान-ए-हश्र है भाई
याँ, कोई झूट बोलता ही नहीं

दर्द-ए-दिल का इलाज ढूँढते हो
दर्द-ए-दिल की कोई दवा ही नहीं


सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं

मेरा अपना ख़याल तो ये है
चाँद पर आदमी गया ही नहीं

सच कहा है "समर" बुज़ुर्गों ने
इश्क़ की कोई इन्तिहा ही नहीं

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on July 23, 2015 at 6:32am
दिल ये कहता है फासला ही नहीं ।
बहुत सुंदर गजल कही है बधाई ।
Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 11:14pm

बढ़िया गजल हुई है ,आ.Samar kabeer जी ,,दाद प्रेषित है |

Comment by shree suneel on July 22, 2015 at 9:46pm
आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं.. बहुत प्यारा शे'र

मेरा अपना ख़याल तो ये है
चाँद पर आदमी गया ही नहीं.. . क्या बात!
आदरणीय समर कबीर सर जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश की आपने. अन्य अशआर भी ख़ूब हुए हैं. बधाई.. बधाई आपको.
Comment by Samar kabeer on July 22, 2015 at 7:07pm
मोहतरमा डॉ प्राची सिंह जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 22, 2015 at 7:05pm
जनाब राहुल डांगी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 22, 2015 at 3:04pm

बहुत उम्दा अश'आर कहे हैं आ० समर कबीर जी 

बहुत बहुत बधाई

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 22, 2015 at 10:16am
किस किस युग्म की तारीफ उम्दा
Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:37pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:35pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:32pm
बहना राजेश कुमारी जी,आदाब,विस्तृत और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,आपने ईद की बधाई दी उसके लिये आपका अलग से शुक्रिया,हमारी ईद तो पानी की भेंट चढ़ गई ,उज्जैन में हाई अलर्ट घोषित हो गया ,जिसका सिलसिला अभी तक जारी है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service