For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेयसी ( लघुकथा )

" ओफ्फो... ये बारिश भी न , एन दफ़्तर जाने के समय ही शुरू होती है ,पता नहीं क्या बैर है मुझसे । आज इतनी जरूरी मीटिंग है कि , अवकाश भी नहीं ले सकती ।" दीपा बड़बड़ाती बालकनी में खड़ी वर्षा रुकने की प्रतीक्षा करने लगी ।

तभी अंदर से लिखने में व्यस्त पति महोदय का आदेशात्मक स्वर कानों से टकराया , " दीपा ! समय है , तो एक प्याला चाय ही बना दो ।"

" जी ! बना देती हूँ ।" कह , मन ही मन बड़बड़ाते हुए रसोई में चली गई ।" बस जब देखो अपनी पड़ी रहती है , ये नहीं खुद गाड़ी से छोड़ आते । पर नहीं ।साहब तो लेखक ठहरे , कलम बीच में छोड़ कैसे उठ सकते हैं ? आग लगे मुई को ।"

"ये लीजिये चाय । अरे ! आप तैयार ... कहीं जा रहे हैं क्या ?"

" हाँ , अपनी कहानी की पात्रा , मेरी प्रेयसी को उसके दफ़्तर छोड़ने ।"

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 540

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on July 16, 2015 at 9:01pm
बहुत ही सुन्दर व रोचक लघुकथा लिखीहै आप ने
Comment by Omprakash Kshatriya on July 16, 2015 at 9:01pm
बहुत ही सुन्दर व रोचक लघुकथा लिखीहै आप ने
Comment by jyotsna Kapil on July 15, 2015 at 10:06pm
सुंदर और रोचक कथा आ.शशि बंसल जी,हार्दिक बधाई।
Comment by vijay nikore on July 15, 2015 at 9:46pm

 लघु कथा अच्छी लगी। बधाई।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 15, 2015 at 6:38pm
रोचक एवं संवेदनशील, बधाई, आदरणीय सुश्री शशि बंसल जी, सादर।
Comment by विनय कुमार on July 15, 2015 at 6:31pm

चलिए लेखकों को भी अच्छा बता दिया , बढ़िया लघुकथा आदरणीया शशि बंसल जी..

Comment by kanta roy on July 15, 2015 at 5:48pm
वो कभी बीवी से बढकर हमें जाने ये हसरत ही रही है .... ओ सपनें बेचने वालों कुछ सस्ते से भाव में हमें भी कुछ सपने देते जाना .....
सुंदर लघुकथा आदरणीया शशि जी हमेशा की तरह । बधाई
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 15, 2015 at 4:51pm

आदरणीया shashi bansal जी अब तो आपने भी मान लिया कि लेखक भी अच्छे दिल के होते हैं .....सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई ....सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 14, 2015 at 11:21pm

आदरणीया शशि जी, बहुत सुन्दर, सकारात्मक और सुखांत वाली एक सफल लघुकथा. इसमें कोई शक नहीं कि आपकी बेहतरीन लघुकथाओं में से ये एक है. इस सकारात्मक लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 14, 2015 at 9:25pm

" हाँ , अपनी कहानी की पात्रा , मेरी प्रेयसी को उसके दफ़्तर छोड़ने ।"

बहुत खूब , सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service