For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बन्धन (लघु कथा)// शुभ्रांशु पाण्डेय

“दोनो पैरों के अँगूठों में बन्धी रस्सी भी खोल दो, चिता पर कोई भी गाँठ या बन्धन नहीं होता..”
“चिता पर सारे बन्धन खत्म हो जाते हैं” - किसी और ने कहा.

सुनते ही राकेश पत्नी प्रिया और उसके बीच के सबसे बडे़ बन्धन एक साल के बेटे को अपने सीने से लगाये प्रिया के निर्जीव शरीर को चुपचाप देखता हुआ फिर से फ़फ़क पड़ा.
*************************
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 854

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on July 3, 2015 at 11:13am

आदरणीय राहुल जी, 

इस मंच पर आपका स्वागत है.

इस मंच की कुछ परिपाटियां है जिसे सभी सदस्य अपनाने की कोशिश करते हैं जिससे सदस्यों के बीच आदर और सम्मान का भाव बना रहता है. साथ ही साथ सीखने और सिखाने की प्रक्रिया भी सतत चलती रहती है. इस मंच पर पाठको से ये अपेक्षा रहती है कि रचना पर अपने विचार खुल कर प्रदान करें. 

रचना पर आने के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on July 3, 2015 at 10:54am

आदरणीया कान्ता जी, 

बन्धन मुक्ति के आयाम को और स्पष्ट करते हुये आपने विचार देने के लिये आभार.

सादर.

Comment by Omprakash Kshatriya on July 3, 2015 at 9:00am

आदरणीय शुभ्रांशु  भाई जी, बहुत ही मार्मिक लघुकथा हुई है, 

बधाई आप को .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2015 at 8:35pm

मार्मिक /बेहतरीन

अनोखा बंधन

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 2, 2015 at 7:39pm

मार्मिक! केवल महसूस किये जा सकते हैं, अवर्णनीय आदरणीय शुभ्रांशु जी!

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:24pm

मार्मिक .अद्वितीय ,,,,कम शब्द हैं पर सीधे दिल तक पहुँच रही है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 2, 2015 at 5:03pm

आदरणीय शुभ्रांशु  भाई जी, बहुत ही मार्मिक लघुकथा हुई है, आपने बंधन को विशिष्ट तरीके से परिभाषित करता हुआ आयाम प्रस्तुत किया है. इस सशक्त सार्थक और सफल लघुकथा की प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2015 at 3:23pm

आपकी रचना ने तो भावुक कर दिया ..शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 2, 2015 at 2:23pm

बहुत मार्मिक!आगे और क्या कहूँ??


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2015 at 11:21am

बहुत मार्मिक... बंधन शब्द को सार्थक करती लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई ...बाहर के बंधन तो दिखाई देते हैं लेकिन जो आत्मिक बंधन होते हैं वो ??क्या उनको खोल सकते है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service