For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - फिल बदीह -- हमारा यक़ीं चाँद से उठ गया ( गिरिराज भंडारी )

122   122   122  12

 

अँधेरों के मित्रो,  हवा दीजिये

मै जलता दिया हूँ बुझा दीजिये

 

लिये आइना सब से मिलता रहा

सभी अब मुझे बद्दुआ दीजिये

 

हमारा यक़ीं चाँद से उठ गया

हमे जुगनुओं का पता दीजिये

 

पुकारा था हमने उसे बार बार

न कहना उसे फिर सदा दीजिये

 

मेरी बातें कब राज होने लगीं

जिसे आप चाहें बता दीजिये

 

मेरे आबला खुश हुये देख कर

कहूँ क्यूँ ? मै पत्थर हटा दीजिये

 

भुला कर ख़ुदी को मिला सबसे मैं

मुझे आज मुझसे मिला दीजिये  

********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

 

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मोहन बेगोवाल on June 28, 2015 at 1:09pm

  

    आदरणीय गिरिराज जी , आप जी की कही ग़ज़ल  अच्छी लगी , खास करके ये शे'र

    हमारा यक़ीं चाँद से उठ गया

     हमे जुगनुओं का पता दीजिये - बधाई हो 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 4:29am

ग़ज़ल कमाल और ये शेर बेमिसाल -

हमारा यक़ीं चाँद से उठ गया

हमे जुगनुओं का पता दीजिये

Comment by Rahul Dangi Panchal on June 26, 2015 at 9:49pm
बहुत ही खूब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2015 at 9:29pm

आदरणीय कृष्णा भाई , सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2015 at 9:28pm

आदरणीय वीनस भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ । आपका इंतिज़ार  रहेगा आदरणीय ॥

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 26, 2015 at 8:39pm

बहुत मिल लिया यारों ग़ैरों से अब  

मुझे आज मुझसे मिला दीजिये 

लाजवाब आ०! नमन्!

Comment by वीनस केसरी on June 26, 2015 at 12:11am

हमारा यक़ीं चाँद से उठ गया

हमे जुगनुओं का पता दीजिये .......हासिले ग़ज़ल शेर है

ग़ज़ल पर फिर से आऊंगा ..



सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 25, 2015 at 8:41pm

आदरणीय केवल भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 25, 2015 at 8:34pm

वाह क्या बात है...

//मेरी बातें कब राज होने लगीं

सरे बज़्म सबको बता दीजिये//

आ0 भंडारी भाई जी....शानदार गज़ल के लिये दाद कुबूल फरमायें . सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 25, 2015 at 3:10pm

आदरणीय नरेन्द्र भाई ,  सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service