For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"वकील साहब! जो चाहे करो लेकिन मेरे बेटे को सजा नही होनी चाहिये।" कहते हुये काली बाबू ने चेक बुक सामने रख दी।
"काली बाबू। मीडीया और 'एविडेन्स' भी तुम्हारे बेटे के खिलाफ है। अब तो एक ही रास्ता है 'पीड़िता' से आपके बेटे की शादी और उसकी तरफ से केस वापसी की दरख्वास्त।" वकील साहब ने ठंडी साँस भर कर हथियार डाल दिये।......................................

"लोगो की सवालिया नजरे, परिवार का मान और तुम्हारी बेटी का भविष्य। इन सबको देखा जाये तो मेरी इस 'आफर' से बेहतर कोई रास्ता नही है।" काली बाबू पूरे परिवार को शीशे में उतारने की कोशिश में थे।
"जी नही, ये नही हो सकता।" परिवार की चुप्पी तोड़ते हुये 'वो' तीखी आवाज में बोल पड़ी।
"आप चाहते है जो अब मेरी इच्छा के खिलाफ हुआ वही सब मैं जीवन भर एक रिश्ते के नाम पर बर्दाश्त करूँ, कभी नही?"
उसके मन का आक्रोश अत्मविश्वास में बदल, उसकी आवाज में झलकने लगा।
"मैंने तो अपना भविष्य अब लोगो की सवालिया नजरो में अपने जैसी 'पीड़ितो' को बचा कर एक नया रास्ता दिखाना और ऐसे 'बीमार' लोगो का इलाज करवाना ही बना लिया है।"
"रहा आप के बेटे का भविष्य, वो तो अब आप जानते ही है।"
काली बाबू को बेटे का भविष्य अब साक्षात दिखाई देने लगा था।

'विरेन्दर वीर मेहता'

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 7:47pm

दृढ़ता में जब स्पष्टता हो तो इसके परिणाम दूरगामी हुआ करते हैं. किसी शातिर सोच द्वारा एक बलत्कृता को उपकृता बनाने का घिनौना षडयंत्र यदि असफल होने लगे, तो प्रभावी समाज, अवश्य है, कि अधिक सबल हो कर सिर उठाता है. विशेष कर स्त्रियाँ अधिक विश्वासी हो कर सामने आती हैं.
ऐसी उद्येश्यपरक प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.

इस लघुकथा का विन्यास, जैसा कि आदरणीय गोपाल नारायनजीने सोदाहरण कहा है, सुधार मांगता है. सुझाव के अनुरूप लघुकथा को साधा जाये, तो यह अपने उद्येश्य को बेहतर ढंग से संप्रेषित कर सकेगी, जिसकी आज महती आवश्यकता है.
शुभेच्छाएँ भाईजी.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 28, 2015 at 10:53am

बहुत बढ़िया लघुकथा,आदरणीय वीर जी. आपको हार्दिक बधाई

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:49am

आदरणीय शिखा कौशिक जी कथा पर आपकी उपस्तिथि और सुन्दर कमेंट  के लिए हार्दिक आभार........

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:48am

आदरणीय विनय कुमार सिंह जी कथा पर आप के शब्द मेरे लिए बहुत ही महत्व रखते है .... दिल से आभार स्वीकार करे..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:46am

आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी कथा पर समय और हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया स्वीकार करे !

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:43am

बहुत बहुत आभार आदरणीय  कांता रॉय जी ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:42am

आदरणीय शिज्जु शकूर जी दिल से आभार स्वीकार करे कथा पर बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए......

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:40am

आदरणीय श्री सुनील भाई जी कथा पर हौसला अफजाई के लिए आप का बहुत बहुत शुक्रिया.....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:38am

आदरणीय मितिलेश वामनकर भाई कथा पर सार्थक प्रतिकिर्या के लिए आप का हार्दिक धन्यवाद. 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 28, 2015 at 10:37am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी कथा पर अपना बहुमूल्य समय देकर आपने जो प्रोत्साहन और मार्गदर्शन किया उसके लिए मैं आप का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूँ.

आपने सही कहा है पीडिता के अंतिम चार संवाद भी एक साथ ही दिए जाने चाहिए थे, जिससे शंका की स्तिथि से बचा जा सकता था. भविष्य में भी आप से मार्गदर्शन की आशा में आप का अनुज.... सादर आभार !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service